उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में चन्द्रमा मन, माता, भावनात्मक लगाव, जल इत्यादि का कारक है। यदि आपकी कुंडली में चन्द्रमा उच्च का, अपने घर का, केंद्र या त्रिकोण में शुभ स्थिति में है तो व्यक्ति अपने जीवन काल में सभी सुख-सुविधा का उपभोग करता है। चन्द्रमा आपकी कुंडली में नीच का, त्रिक भाव का या अशुभ ग्रहों के भाव में स्थित है तो आपको धोखा, अपमान इत्यादि का सामना करना पड़ता है। चन्द्रमा जब कुण्डली में किसी अन्य ग्रह के साथ युति सम्बन्ध बनाता है तो कुछ ग्रहों के साथ इसके परिणाम शुभ फलदायी होते हैं तो कुछ ग्रहों के साथ इसकी शुभता में कमी आती है। आगे जानिए किस ग्रह के साथ कैसे फल देता है ये चंद्रमा…