मकर संक्रांति पर इस विधि से करें सूर्यदेव की पूजा, 9 घंटे से ज्यादा का रहेगा पुण्यकाल

उज्जैन. 14 जनवरी, गुरुवार यानी आज मकर संक्रांति है। ये पर्व सूर्य के मकर राशि में आने पर मनाया जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है यानी दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर गति करने लगता है, जिससे रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार, इस दिन सूर्य सुबह करीब 8:20 पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन मकर संक्रांति का पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा। इस तरह संक्रांति का पुण्यकाल करीब 9 घंटे से ज्यादा का रहेगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य देकर स्नान, दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यदि इस दिन विभिन्न स्त्रोतों व स्तुतियों से सूर्यदेव की पूजा की जाए तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव को प्रसन्न करनें के लिए इस विधि से अर्घ्य दें और इस स्त्रोत का पाठ करें-

Asianet News Hindi | Published : Jan 14, 2021 2:54 AM IST

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मकर संक्रांति पर इस विधि से करें सूर्यदेव की पूजा, 9 घंटे से ज्यादा का रहेगा पुण्यकाल

- मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें।
 

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- इस जल में थोड़ा कुंकुम और लाल रंग के फूल भी डाल लें। इसके बाद सूर्य की ओर मुख करके धीरे-धीरे ऊँ घृणि सूर्याय नम: बोलते हुए अर्ध्य दें।
 

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- सूर्यदेव को लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें। बाद में इसे किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दें।
 

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- साथ ही गुड़ और गेहूं भी सूर्यदेव को अर्पित करें और बाद में जरूरतमंदों में इसे बांट दें।
 

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- इस तरह सूर्यदेव की पूजा करने के बाद शिव प्रोक्त सूर्याष्टक स्तोत्र का पाठ करें-
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर मनोस्तु ते।।
सप्ताश्चरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्ममज्म।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम।।
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम् ।।
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम्।।
बृंहितं तेज:पुजं च वायु माकाशमेव च।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज: प्रदीपनम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणामाम्यहम्।।
 

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