भारत की आजादी का इन जगहों से है खास नाता एक बार जरूर जाएं यहां

लाइफस्टाइल डेस्क: 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। इस साल भारत ने अपनी आजादी के 75 साल (Independence day 2022) पूरे किए हैं। ऐसे में इस दिन को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। भारत की आजादी के लिए हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए और भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति दिलाई। इतना ही नहीं भारत की आजादी में कुछ ऐतिहासिक जगहों का भी खास योगदान रहा, यहां भारत की आजादी का इतिहास गढ़ा गया था। आइए आज हम आपको बताते हैं इन्हीं जगह के बारे में जहां हर भारतीय को एक बार जरूर जाना चाहिए...

Asianet News Hindi | Published : Aug 15, 2022 3:39 AM IST
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भारत की आजादी का इन जगहों से है खास नाता एक बार जरूर जाएं यहां

जलियांवाला बाग 
पंजाब के अमृतसर में बना जलियांवाला बाग भारत की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। यहां जनरल डायर के कहने पर अंग्रेजों ने सैकड़ों भारतीयों को गोलियों से भून दिया था। यहां पर आज भी उन गोलियों के निशान मौजूद है, जिसे एक स्मारक का रूप दिया गया है। ऐसे में हर भारतीय को यहां जाकर इस जगह के इतिहास को जानना चाहिए।

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साबरमती आश्रम 
साबरमती आश्रम गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है। यह स्थान गांधी आश्रम, हरिजन आश्रम और सत्याग्रह आश्रम जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महात्मा गांधी का बड़ा योगदान रहा है और साबरमती आश्रम को महात्मा गांधी का स्थल ही कहा जाता है। उन्होंने यही से मार्च 1930 में दांडी यात्रा की शुरुआत की थी। इतना ही नहीं साबरमती आश्रम को स्वतंत्रता या स्वदेशी आंदोलनों का केंद्र भी कहा जाता था।

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लाल किला 
लाल किला ऐतिहासिक भारतीय स्मारक है। इसका संबंध भारत की आजादी से रहा है। कभी यह किला स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ हुआ करता था, इसलिए आज भी लाल किले के प्राचीर से तिरंगा लहराया जाता है। हर भारतीय को एक बार लाल किले पर जाकर इसके इतिहास को टटोलना चाहिए।

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झांसी का किला 
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के किस्से कहानियां तो हमने खूब सुनी होगी। लेकिन अगर आपको मौका मिले तो यहां एक बार झांसी का किला जरूर घूमने जाएं। बंगीरा नामक एक विशाल पहाड़ी की चोटी पर स्थित, झांसी का किला एक शानदार किला है जिसने 11वीं और 17वीं शताब्दी के बीच चंदेल राजाओं के गढ़ के रूप में कार्य किया है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने यहां 1857 से 1858 तक राज किया और अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए अपने प्राणों को देश के लिए न्योछावर कर दिया।

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सेलुलर जेल
सेलुलर जेल को पहले काला पानी कहा जाता था। यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है। यह एक राजसी जेल हुआ करता था, जो हमें उस कीमत की याद दिलाता है जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने चुकाई है। वीर सावरकर और बटुकेश्वर दत्त जैसे कुछ प्रख्यात भारतीय स्वतंत्रता संग्रामियों को यहां कैद किया गया था। वर्तमान में, इस जेल परिसर को राष्ट्रीय स्मारक बनाया गया है। यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सबसे अधिक देखे जाने वाले आकर्षणों में से एक है। 

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