जबलपुर, मध्य प्रदेश. यह कहानी एक ऐसी बिजनेस फैमिली की है, जो अपने स्टाफ के संपर्क में आने से संक्रमित हो गई थी। शुरुआत में सब बहुत डरे हुए थे। लेकिन अब सभी ठीक होकर हॉस्पिटल से घर आ गए हैं। बता दें कि जबलपुर के सराफा व्यापारी मुकेश अग्रवाल, उनकी पत्नी, बेटी पलक और स्टाफ प्रभुदयाल संक्रमित हो गए थे। प्रभुदयाल स्विटजरलैंड से लौटा था। इसके संपर्क में आने पर पूरी फैमिली संक्रमित हो गई थी। पलक को छोड़कर बाकी तीनों को पहले ही डिस्चार्ज किया जा चुका था। शनिवार को पलक को भी अस्पताल से छुट्टी मिल गई। जब पलक हॉस्पिटल से निकली, तो वो डॉक्टरों के सेवाभाव को देखकर भावुक हो उठी। वहीं, एक नई जिंदगी मिलने पर खुशी भी थी। पलक ने माना कि उसे नहीं मालूम था कि जबलपुर जैसे छोटे शहरों में भी इतने अच्छे डॉक्टर हैं। पलक ने कहा कि डॉक्टर वाकई भगवान होते हैं। पलक ने लोगों को मैसेज दिया कि कोरोना से डरे नहीं, बल्कि हौसला रखें। बस, सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें।
हॉस्पिटल से निकलते वक्त पलक अग्रवाल ने विक्ट्री का साइन बनाया। उसने कहा कि जबलपुर में मेडिकल की इतनी अच्छी सुविधाएं हैं, आज मालूम चला। यहां मेरे मम्मी-पापा का बहुत अच्छे से इलाज हुआ। नर्सें कई बार मेरा हालचाल पूछती थीं। पलक ने डॉक्टरों को थैंक्यू बोला। पलक ने कहा कि वाकई डॉक्टर भगवान होते हैं।
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पलक ने कहा कि वो हैरान थी कि संक्रमित कैसे हो गई? जब मैं हॉस्पिटल में भर्ती थी, तब बहुत सारे लोगों को कॉल आ रहे थे कि तुमको ठीक होकर आना है। मेडिकल स्टाफ और दूसरों ने इतना सपोर्ट किया कि मुझे डर नहीं लगा। बस आप लोग भी हिम्मत रखिए। कोरोना हारेगा।
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बता दें कि 5 अप्रैल को पलक के पापा मुकेश अग्रवाल, उसकी मां और स्टाफ प्रभुदयाल को डिस्चार्ज किया गया था।
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यह तस्वीर आपके लिए अलर्ट है। कोरोना को हराना है, तो सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखना होगा।
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यह तस्वीर जानलेवा लापरवाही को दिखाती है। कोरोना संक्रमण से लड़ना कोई खेल नहीं है।