जीतू के दोस्त और परिजन बताते हैं कि उसका परिवार साधारण था। बताते हैं कि जीतू इंदौर के राज मोहल्ले के जिस सरकारी स्कूल में पढ़ता था, वो जुआरियों और शराबियों का अड्डा बन चुका था। लोग उसे 'आशिक मियां के स्कूल' नाम से पुकारते थे। दरअसल, आशिक मियां शराब और जुआ का अड्डा चलाता था। लिहाजा पिता ने इस स्कूल से नाम कटवाकर जीतू को वैष्णव स्कूल में भर्ती करवा दिया। जीतू सीधा-सादा आदमी था, लेकिन बड़े होते-होते वो शातिर होता गया। आगे पढ़िए जीतू की ही कहानी..