किवदंती है कि रात 2 से 5 बजे के बीच इस मंदिर में अगर कोई रुकता है, तो हो जाती है मौत

Published : Oct 22, 2020, 02:58 PM IST

सतना, मध्य प्रदेश. सतना जिले के मैहर में स्थित मां शारदा का मंदिर (Maa Sharda Temple) अपनी प्राचीनता के कारण प्रसिद्ध है। त्रिकूट पर्वतमाला पर स्थित मैहर देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह देश का इकलौता शारदा मां का मंदिर है। इस मंदिर की कहानी बुंदेलखंड के इतिहास से जुड़े महान योद्धा आल्हा-उदल से जुड़ी है। ये वहीं, भाई हैं, जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान (Prithvi Raj Chauhan) से युद्ध किया था। कहते हैं कि इन्हीं भाइयों ने यहां विराजित मूर्ति को खोजा था। किवदंती है कि करीब 12 साल की तपस्या के बाद इन भाइयों को मां शारदा ने अमरत्व का वरदान दिया था। कहते हैं आज भी सबसे पहले आल्हा-उदल ही मां के दर्शन करते हैं। नवरात्र पर यहां भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर मैहर शहर से करीब 5 किमी दूर है। पढ़िए इस मंदिर की रोचक जानकारी...

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किवदंती है कि रात 2 से 5 बजे के बीच इस मंदिर में अगर कोई रुकता है, तो हो जाती है मौत

इस मंदिर के पट रात 2 बजे से सुबह 5 बजे तक यानी 3 घंटे के लिए बंद रहते हैं। कहावते हैं कि इसी दौरान आल्हा-उदल यहां दर्शन करने आते हैं। इस बीच अगर कोई जिद करके यहां रुकता है, तो उसकी मौत हो जाती है। लेकिन सच्चाई कोई नहीं जानता। 

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आल्हा-उदल मां शारदा के बड़े भक्त थे। इन्हीं भाइयों ने 12 साल जंगल में तपस्या करके मां को प्रसन्न किया था। इस मंदिर में काल भैरवी, हनुमान, देवी काली, दुर्गा, गौरी-शंकर, शेष नाग, फूलमति माता, ब्रह्म देव और जलापा देवी की भी मूर्तिया हैं।
 

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किवंदती है कि आल्हा-उदल मां को शारदा माई कहकर बुलाते थे। इसलिए इस मंदिर का नाम शारदा माई के नाम से प्रसिद्ध हुआ। (मंदिर की एक पुरानी तस्वीर)

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इस मंदिर के पीछे एक तालाब है। इसका नाम आल्हा के नाम पर है। तालाब से कुछ दूरी पर एक अखाड़े के अवशेष मिलते हैं। किवंदती हैं कि इसी अखाड़े में आल्हा-उदल पहलवानी करते थे।

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किवंदती है कि सबसे पहले मां की मूर्ति की पूजा गुरु शंकराचार्य ने 9वीं-10वीं शताब्दी में खोजी थी। इस मंदिर में पहले बलि देने की प्रथा थी। 1922 में सतना के राजा ब्रजनाथ जूदेव ने इसे रोक दिया था। (आल्हा-उदल का अखाड़ा)

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