बड़ी होकर मैं ट्रैक्टर बनूंगी, मानों बाइक यही सोचकर लाई गई थी, देखिए जुगाड़ से कैसे कर दिया किसान का काम सरल

सागर, मध्य प्रदेश. खेती-किसानी का काम सरल नहीं होता। बदलते समय में खेतीबाड़ी के लिए अत्याधुनिक मशीनें बन गई हैं। लेकिन गरीब किसानों के लिए इन्हें खरीद पाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में देसी जुगाड़ से तैयार की गईं ये मशीनरी काफी काम आती हैं। सागर जिले के जरुवाखेड़ा गांव के रहने वाले किसान रामजी बहरोलिया हाल में चर्चाओं में आए थे। ये अपने खेतों की जुताई को लेकर परेशान थे। लाखें रुपए खर्च करके ट्रैक्टर खरीदना इनके लिए संभव नहीं था। तब इन्होंने अपना दिमाग दौड़ाया और कबाड़ से देसी जुगाड़ करके बाइक को ट्रैक्टर की तर्ज पर तैयार कर दिया। रामजी ने अपनी पुरानी बाइक के पीछे लोहे के एंगल को बेल्डिंग करके जोड़ दिया। रामजी ने बाइक का पिछला पहिया निकालकर दो बड़े पहिये अलग से जोड़े। इससे बाइक तिपहिया हो गई और खेतों में चलने लायक उसका बैलेंस बन गया। आइए जानते हैं इस जुगाड़ के बारे में और बातें...

Asianet News Hindi | Published : Aug 12, 2020 11:47 AM IST
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बड़ी होकर मैं ट्रैक्टर बनूंगी, मानों बाइक यही सोचकर लाई गई थी, देखिए जुगाड़ से कैसे कर दिया किसान का काम सरल

यह बाइक खेतों की निदाई में काफी मददगार साबित हो रही है। रामजी नामक इस किसान ने अपनी पुरानी बाइक को इसमें इस्तेमाल किया। यह जुगाड़ वाला ट्रैक्टर 2 दिन का काम 2 घंटे में पूरा कर देता है। यानी यह 2 घंटे में एक एकड़ की निदाई कर देता है। यह पांच लोगों का काम अकेले करता है। आगे पढ़िए जुगाड़ की बाइक...

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रायपुर, छत्तीसगढ़. यह मामला पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के अक्षय ऊर्जा विभाग के छात्रों से जुड़ा है। इस विभाग के अभिषेक खरे, आदर्श यादव, एहतेशाम कुरैशी, प्रवीण चंद्राकर, पंकज चेलक और यश पराड़ ने कुछ महीने पहले गोबर गैस से चलने वाली बाइक का प्रदर्शन किया था। 240 किमी का सफर तय करने में बाइक में 5 किलो गोबर गैस का खर्चा आता है। यानी पेट्रोल के मुकाबले लगभग आधा खर्चा। इसकी गैस किट भी इन्हीं छात्रों ने बनाई थी। इस तरह की बाइक बनाने पर खर्च आया करीब 45 हजार रुपए। आइए देखते हैं कुछ और अन्य देसी जुगाड़...

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खेत से टिड्डियों के दल और जानवरों को भगाने का यह देसी जुगाड़ सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें लगे पंखे बिना बिजली के हवा के दबाव से घूमते हैं। इसमें साइकिल की बीयरिंग का इस्तेमाल किया गया है, जिस पर ये पंखुड़ियां घूमती हैं। पंखुड़ियों के घूमने से बीयरिंग से बंधी लोहे की एक पतली रॉड भी घूमती है। इसके दोनों छोर पर छोटे नस कंसे हुए हैं। इनके घूमने से नट थाली पर पड़ते हैं। जब यह तेजी से घूमते हैं, तो तेज आवाज आती है। इससे टिड्डियां और जानवर खेत से भाग जाते हैं। आगे पढ़े बिलासपुर में रेलवे ने बनाई अनूठी साइकिल...

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बिलासपुर, छत्तीसगढ़. भारतीय रेलवे ने सबसे सस्ते मॉडल यानी करीब 5 हजार रुपए वाली साइकिल को अपने के लिए बेहद काम की चीज बना दिया। साइकिल के बाद अब रेलवे ट्रैक की पेट्रोलिंग करना आसान हो गया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन-बिलासपुर अब इस साइकिल का इस्तेमाल करने लगा है। बता दें कि बिलासपुर में 13 हजार ट्रैकमेंटेनर हैं। प्रत्येक करीब 5 किमी पैदल चलकर रेलवे ट्रैक की निगरानी करता है। इस साइकिल के जरिये अब वे 15 किमी तक बिना थके पेट्रोलिंग कर सकते हैं। इस जुगाड़ वाली साइकिल का नार्थ वेस्टर्न रेलवे-अजमेर पहले ही सफल प्रयोग कर चुका है। इस साइकिल का वजन महज 20 किलो है। वहीं इसकी गति 10 किमी/प्रति घंटा है। आगे पढ़िए कोरोना से बचने दुकानदार का अनूठा आविष्कार...

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यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। किसी गांव के एक दुकानदार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने यह अनूठी मशीन बना दी। उसने साइकिल के पहिये, रस्सी और तसले से एक मशीन तैयार की। तसला रस्सी से बंधा है। यह साइकिल के पहिये को घुमाने पर आगे-पीछे जाता है। दुकानदार इसमें चीजें रखकर दूर खड़े ग्राहक तक पहुंचा सकता है। आगे पढ़िए बच्चे ने बनाई..अनूठी बाइक...

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देसी जुगाड़ का यह मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले के आमला गांव का है। यहां 9वीं क्लास के बच्चे ने लॉकडाउन में अपनी क्रियेटिविटी का सदुपयोग किया और साइकिल में ही इंजन लगाकर उसे बाइक में बदल दिया।यह है अक्षय राजपूत। इन्होंने कबाड़ी से पुरानी चैम्प गाड़ी का इंजन खरीदा। इसके बाद कुछ दिनों की मेहनत से उसे साइकिल में फिट करके बाइक का रूप दे दिया। आगे पढ़िए..किसान ने खेती के लिए बनाया सुपर स्कूटर...

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देसी जुगाड़ का यह मामला झारखंड के हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ के उच्चघाना से जुड़ा है। यह हैं रमेश करमाली। ये संयुक्त परिवार में रहते थे। लेकिन एक दिन इनके छोटे भाई ने मजबूरी में अपनी दोनों भैंसें बेच दीं। भैंसें खेतों की जुताई में भी काम आती थीं। लिहाजा, रमेश को अपने खेत जोतने में दिक्कत होने लगी। रमेश एक छोटे-मोटे मैकेनिक भी रहे हैं। उन्होंने तीन हजार में कबाड़ से एक स्कूटर खरीदा और पांच हजार रुपए और खर्च करके देसी जुगाड़ से पॉवर टीलर बना लिया। यह पॉवर टीलर दस गुने कम खर्च पर खेतों की जुताई कर रहा है। यानी ढाई लीटर पेट्रोल में पांच घंटे तक खेतों की जुताई कर सकता है। 

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