जयदेव के दोनों बेटे पिता के साथ सब्जी उगाने का काम करते हैं। जब सब्जी का सीजन नहीं उगा पाते तो वह मजदूरी करके अपने घर का खर्चा चलाते हैं। किसान के एक बेटे ने बताया कि सब्जी बोने का समय निकल चुका था, बड़ी मुश्किल से बीच मिला है, अगर ऐसे में हम देरी करते तो हमारी पूरी साल बर्बाद हो जाती। इसलिए हमने खुद ही मजबूरी में आकर बैल बनने का फैसला किया।