जाबांज दादा-दादी का कमाल: पोते की जान बचाने के लिए तेंदुए से जा भिड़े, ऐसे मौत के मुंह से छीनीं जिंदगी

श्योपुर. मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले से एक चौंका देने वाली खबर सामने आई है। जहां आधी रात को आंगन में सो रही 1 साल की बच्चे को तेंदुआ उठाकर ले गया। इसी बच्चे की चीख सुनकर पास सो रहे दादा-दादी जागे और अपनी जान दांव पर लगाकर आदमखोर तेंदुए से भिड़ गए। उन्होंने बहादुरी से उसका मुकाबला किया और अपनी पोती को मौत के मुंह में से बचाकर ले आए। हालांकि बुजुर्ग दंपत्ति को उसने पंजों से घायल कर दिया है। लेकिन यह गनीमत है कि किसी की जान नहीं गई।
 

Arvind Raghuwanshi | Published : Aug 21, 2021 2:45 PM IST / Updated: Aug 21 2021, 08:19 PM IST

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जाबांज दादा-दादी का कमाल: पोते की जान बचाने के लिए तेंदुए से जा भिड़े, ऐसे मौत के मुंह से छीनीं जिंदगी

दरअसल, यह दिल दहला देने वाली घटना श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क के पास बसे गांव मोरावन के धुरा की है। जहां मंगलवार रात  जय सिंह गुर्जर व अपनी बसंती बाई अपनी पोते बॉबी के साथ आंगन में सोए हुए थे। इसी बीच अचानक तेदुंआ आ धमका और बच्चे को मुंह में दबाकर ले जाने लगा। मासूम की चीखने की आवाज सुनकर जब बुजुर्ग दंपत्ति की नींद खुली तो यह नजारा देख उनके होश उड़ गए।

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बुजुर्ग दंपत्ति देखा कि तेंदुआ बच्चे के पैर को अपने जबड़ों में दबा चुका था। उन्हें कुछ नहीं सूझा और दोनों अपने पोते को बचाने के लिए उस तेंदुए से जा भिड़े। जय सिंह जहां तेदुंए की गर्दन पकड़ी तो महिला बसंती ने उसके मुंह से बच्चे को निकाल लिया। हालांकि इस दौरान तेंदुए ने उनपर हमला भी किया। लेकिन वह हिम्मत नहीं हारे और डटकर उसका मुकाबला करते रहे।

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बुजुर्ग दंपत्ति देखा कि तेंदुआ बच्चे के पैर को अपने जबड़ों में दबा चुका था। उन्हें कुछ नहीं सूझा और दोनों अपने पोते को बचाने के लिए उस तेंदुए से जा भिड़े। जय सिंह जहां तेदुंए की गर्दन पकड़ी तो महिला बसंती ने उसके मुंह से बच्चे को निकाल लिया। हालांकि इस दौरान तेंदुए ने उनपर हमला भी किया। लेकिन वह हिम्मत नहीं हारे और डटकर उसका मुकाबला करते रहे।

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गांव के लोगों ने बताया कि तेंदुए के हमले के बाद दहश्त में पूरी रात गांव के एक युवक की भी नहीं लगी। सभी को वही सीन दिखाई दे रहा था कि कैसे वो बच्ची के पैर को जबड़े में भरे हुए है। फिर बुजुर्ग दंपत्ति उसकी गर्दन-मुंह पकड़ मुकाबला कर रहे हैं। उस दिन की घटना के बाद से गांव के लोग लाठी-डंडा लेर एक-एक करके पहरा दे रहे हैं।
 

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