इस हादसे में जो जिंदा बचा है वह किसी चमत्कर से कम नहीं है। मौत के मुंह से जिंद बचकर आई एक स्वर्णलता द्विवेदी (24) ने जब हादसे की आपबीती सुनाई तो हर किसी की आंखों में आंसू आ गए। स्वर्णलता कहा कि उसका मंगलवार को नर्सिंग की परीक्षा थी, सुबह 7 बजे में अपनी मां के साथ बस में सवार हुई। मां को आगे वाली सीट पर बैठा दिया था। जबकि मैं भीड़ होने के कारण दरवाजे के पास खड़ी हो गई। बस इतनी भरी थी कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था और ड्राइवर तेज रफ्तार में बस को दौडाए जा रहा था। मैं ही नहीं की कई यात्री ड्राइवर को बस धीमे चलाने की बोल रहे थे, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी।