500 KM पैदल चलकर आई महिला ने आइसोलेशन सेंटर में दिया बच्चे को जन्म, पढ़िए नारी शक्ति की कहानी

पन्ना (मध्य प्रदेश). लॉकडाउन होने के बाद भी देश में कोरोना वायरस मरने वालों की संख्या में हर रोज बढ़ती जा रही है। राज्य सरकारों की सख्ती के बाद भी अभी भी हजारों भूखे-प्यासे मजदूर फंसे हुए हैं। रोज कहीं ना कहीं से ऐसी विचलित कर देने वाली तस्वीर सामने आ रही हैं। ऐसी ही दिल को झकझोर देने वाली तस्वीर और खबर मध्य प्रदेश से सामने आई है। जहां 500 किलीमीटर पैदल चल गांव पहुंची प्रेग्नेंट महिला ने आइसोलेशन सेंटर में एक बच्चे को जन्म दिया है।
 

Asianet News Hindi | Published : Apr 5, 2020 1:10 PM IST

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500 KM पैदल चलकर आई महिला ने आइसोलेशन सेंटर में दिया बच्चे को जन्म, पढ़िए नारी शक्ति की कहानी
यह तस्वीर दिखाई देने वाली इस महिला का नाम काली बाई है और वह पन्ना जिले के अजयगढ़ तहसील की रहने वाली है। 24 साल की यह यह महिला उत्तर प्रदेश के मथुरा से 500 सौ किलोमीटर पैदल चलकर 31 मार्च को वह पन्ना में अपने घर पहुंची। जहां उसने अपने गांव में बने क्वारेंटाइन सेंटर में एक बच्चे को जन्म दिया है। परिवार ने बच्चे का नाम राम रखा है। आइसोलेशन सेंटर के इंचार्ज डॉ डीके राजपूत ने कहा कि काली बाई और उसका बच्चा स्वस्थ्य है। बता दें कि प्रसूता काली बाई अपने पति रामदीन के साथ मथूरा में मजदूरी का काम करती थी। लेकिन लॉकडाउन होने के बाद जब उनके पास कोई रोजगार नहीं बचा तो उन्होंने अपने गांव आने का फैसला लिया। जब उनको कोई बस या ट्रेन नहीं मिली तो पती-पत्नी ने पैदल ही पांच किलोमीटर का सफर किया।
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गुजरात के सूरत में मजदूरी कर रही सात महीने की गर्भवती महिला 1000 किलोमीटर से ज्यादा की पैदल यात्रा करके उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित अपने गांव पहुंची। गर्भवती महिला के साथ उसका दो साल के बच्चा भी था। बांदा से सूरत की सड़क मार्ग की दूरी 1,066 किलोमीटर है। यह महिला अपने पति के साथ गुजरात के सूरत की एक निजी फैक्ट्री में मजदूरी करती थी।
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तस्वीर में दिख रही यह महिला यसोदा है और वह 7 महीने की गर्भवती है। जो यूपी के महोबा की रहने वाली है। लॉकडाउन होने के बाद यह गर्भवती महिला ने पैदल ही 600 किमी का रास्ता तय किया है। वह हरियाण के गुरुग्राम से पैदल सफर करके महोबा आई है। यह सफर उसने पांच दिन में पूरा किया है।
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कुछ दिन पहले 30 मार्च को ऐसी एक तस्वीर यूपी-एमपी के बॉर्डर पर देखने को मिली थी। जहां सैंकड़ों मजदूरों के समूह में एक आठ माह की गर्भवती महिला भी फंसी हुई थी। वह लाचार अवस्था में पुलिस अफसरों से घर जाने के लिए गिड़गिड़ा रही थी। रोते हुए कह रही थी, सहाब मुझको जाने दो मैं 500 किलोमीटर पैदल चलकर आई हूं। बहुत दर्द हो रहा है, घर नहीं पहुंची तो मेरा बच्चा मर जाएगा। बता दें कि यह गर्भवती महिला का नाम पूजा है और हरियाणा के रेवाड़ी से दो दिन से पैदल आई है और दतिया जाना चाहती है।
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लॉकडाउन के दौरान एक गर्भवती महिला सहारनपुर से बुलंदशहर के लिए चली तो रास्ते में खाना तक नहीं मिला। पिछले ढाई दिन में महिला पैदल चलकर सहारनपुर से मेरठ तक पहुंची।
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