अंसार बताते हैं कि उनकी देश में 371वीं रैंक आई थी। दोस्तों ने जब पार्टी मांगी, तो उनके पास पैसे नहीं थे। तब एक दोस्त ने उनकी मदद की। अंसार की बहनों की शादी हो चुकी थी। वहीं छोटा भाई छठवीं की पढ़ाई के बाद चाचा के गैराज में काम करने लगा था। अंसार जब कॉलेज में एडमिशन लेने पहुंचे, तो तब फीस के पैसे नहीं थे। तब छोटे भाई ने अपने वेतन में से 6000 रुपए उन्हें भेजे थे। अंसार की पढ़ाई मराठी माध्यम से हुई थी। इसलिए वे अंग्रेजी से डरते थे, लेकिन हार नहीं मानी।