'मां..अब हम कहां रहेंगे...पापा...बहुत भूख लगी है...' पर इन मासूमों को क्या पता कि उनके मां-बाप बेबस हैं
मुंबई. पहली तस्वीर सपनों के महानगर मुंबई की है। जिस शहर के लोग ऊंचे-ऊंचे ख्वाब देखकर जीते हैं, वहां के गरीब लॉक डाउन के दौरान रोटियों से ज्यादा कुछ नहीं सोच पा रहे। यह तस्वीर यही दिखाती है। कोरोना को हराने लॉक डाउन अनिवार्य है, लेकिन इसने गरीबों को दोहरी लड़ाई लड़ने पर विवश कर दिया है। पहली, उसे संक्रमण से लड़ना है..दूसरा भूख से। यह बच्चा शायद भूख से मचल उठा था। इस पर मां ने उसे चांटा मार दिया। ऐसे एक नहीं, देशभर में लाखों बच्चे हैं, जो मां-बाप से सिर्फ कुछ खिलाने की बात कहते सुने जा सकते हैं। कामकाज बंद हो जाने से मजदूरों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। हालांकि सरकार और स्वयंसेवी संगठन लगातार इनके लिए रहने-खाने के प्रबंधों में लगी है, लेकिन दिक्कतें तब तक जारी रहेंगी, जब तक कि लॉक डाउन रहेगा। यह सब भली-भांति जानते हैं। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में मंगलवार को संक्रमितों की संख्या 302 पहुंच गई है। इनमें सबसे ज्यादा 164 संक्रमित मुंबई से है। आइए देखें देशभर की ऐसी कुछ तस्वीरें..जो लॉक डाउन में गरीबों की हालत को दिखाती हैं...
Asianet News Hindi | Published : Apr 1, 2020 5:10 AM IST / Updated: Apr 01 2020, 10:47 AM IST
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण को रोकने की दिशा में सरकार सख्त हो गई है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को सोशल मीडिया के जरिये लोगों से कहा कि कोरोना के खिलाफ जो लड़ाई चल रही है, वो अभी जारी रहेगी।
मां मत रो: भावुक करने वाली यह तस्वीर शायद यही दिखाती है। सड़क किनारे मां के साथ बैठे इन बच्चों को नहीं मालूम कि ये कोरोना क्या है।
खाने के पैकेट के लिए लाइन में लगा एक बच्चा हाथ जोड़कर भूखे होने की दुहाई देता हुआ।
अपनी से ज्यादा मां को बच्चों के पेट भरने की चिंता। पता नहीं कब तक ऐसा चलेगा।
पैदल घर लौटते मजदूरों और उनके बच्चो को रास्ते में जिसने खिलाया..वो उसे दुआएं देते रहे।
मासूम बच्चे को कांधे पर उठाए घर की ओर जाती एक महिला।
रोजी-रोटी पर संकट आ जाने के बाद घर लौटता एक परिवार।
लॉक डाउन ने देशभर में गरीबों के लिए संकट की स्थिति पैदा कर दी है।
जिन बच्चों के खेलने-कूदने की उम्र है, वे अकेले पड़ गए हैं। मां-बाप के साथ भटक रहे हैं।
कोरोना वायरस के चलते लागू किए गए लॉक डाउन गरीबों के चेहरों का रंग उड़ा दिया है।
पापा हम कहां जा रहे हैं? साइकिल पर मायूस बैठी यह बच्ची शायद यही पूछ रही होगी।
भूखे-प्यासे मीलों चलकर अपने घर पहुंच रहे हैं मजदूर।
खाने के पैकेट मिलने के बाद खुशी का इजहार करती बच्ची।