ये हैं दुनिया के 10 सबसे जहरीले सांप, डस लें तो आफत में पड़ जाती है जान, बचने के लिए मिलते हैं चंद मिनट

नई दिल्ली। बिहार के खगड़िया जिले के मथुरापुर गांव में सर्पदंस से इंदल साह नाम के व्यक्ति की मौत हो गई। इसी तरह राजस्थान के बांसवाड़ा में लकड़ियां लेने बाहर गई महिला को सांप ने डस लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। ऐसी घटनाएं गिनी चुनी नहीं हैं। भारत में हर साल सांप द्वारा डसे जाने से हजारों लोगों की मौत होती है। गर्मी और बारिश के दिनों में सर्पदंस की घटनाएं अधिक होती हैं। यही कारण है कि लोग सांप देखते ही भय से कांप जाते हैं। हालांकि सभी सांप जहरीले नहीं होते। आज हम आपको दुनिया के सबसे जहरीले और जानलेवा 10 सापों के बारे में बताने जा रहे हैं। कुछ सांप इनसे भी अधिक जहरीले होते हैं, लेकिन अपने शांत स्वभाव के चलते वे इंसानों के लिए कम घातक साबित होते हैं और उसके चलते कम मौतें होती हैं।

Vivek Kumar | Published : Jun 9, 2022 4:28 AM IST / Updated: Jun 09 2022, 10:12 AM IST
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ये हैं दुनिया के 10 सबसे जहरीले सांप, डस लें तो आफत में पड़ जाती है जान, बचने के लिए मिलते हैं चंद मिनट

ब्लैक मांबा अफ्रीका में पाया जाता है। यह अफ्रीका का सबसे जानलेवा सांप है। अपने लंबे और छरहरे शरीर के चलते यह 19 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से रेंग सकता है। यह बहुत अधिक फुर्तीला सांप है, जिसके चलते इसके हमला करने का रेंज अधिक होता है। खतरा होने पर यह इंसान पर हमला करने से पीछे नहीं रहता। 

यह एक ही इंसान को कई बार काटता है और उसके शरीर में जहर की बहुत अधिक मात्रा डाल देता है। इस सांप के मुंह के अंदर का भाग काला होता है, जिसके चलते इसे ब्लैक मांबा कहते हैं। इसका जहर न्यूरोटॉक्सिक और कार्डियोटॉक्सिक होता है। यह इंसान के नर्वस सिस्टम और हृदय पर असर करता है, जिससे एक घंटे के भीतर मौत हो सकती है। इसके जहर की दो बूंद एक इंसान को मारने के लिए काफी है।

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रसेल्स वाइपर भारत में पाया जाता है। भारत में हर साल सर्पदंस से करीब 58 हजार लोगों की मौत होती है। मरने वालों का बड़ा हिस्सा रसेल्स वाइपर का शिकार होता है। यह सांप मुख्य रूप से धान के खेतों में रहता है, जहां यह चूहों और अन्य छोटे जानवरों का शिकार करता है। इस सांप का छलावरण बहुत अच्छा होता है। इसका रंग और शरीर पर बने निशान इसे खेतों में घास और धान के बीच छिपने में मदद करते हैं। लोग इसे देख नहीं पाते और करीब चले जाते हैं, जिसके चलते वे हादसे का शिकार हो जाते हैं। 

इस सांप का जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जिससे पीड़ित के शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं। इसके साथ ही जहर में कॉगुलेंट भी होता है, जिससे पीड़िता का खून मोटा और चिपचिपा होकर नसों में जम जाता है। पीड़ित को तेज दर्द होता है और सही इलाज नहीं मिलने पर जल्द ही मौत हो जाती है।

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सॉ-स्केल्ड वाइपर मध्यपूर्व, उत्तरी अफ्रीका, श्रीलंका और भारत में पाया जाता है। खतरा महसूस होने पर यह अपने शरीर को रगड़कर आवाज निकालता है। इसके बाद भी इंसान सावधान नहीं हुआ तो यह हमला कर देता है।

सॉ-स्केल्ड वाइपर के जहर में हीमोटॉक्सिक और साइटोटॉक्सिक होता है। इसके चलते लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं और शरीर के अंदर और बाहर बहुत अधिक खून निकलता है। करीब दो फीट लंबा यह सांप देखने में भले छोटा लगे, लेकिन बहुत खतरनाक होता है। यह बहुत अधिक आक्रामक होता है और खतरा होने पर तुरंत हमला कर देता है।

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इनलैंड टाइपैन दुनिया का सबसे जहरीला सांप माना जाता है। इसके जहर में प्रोकॉगुलेंट्स मिले होते हैं जो खून का धक्का बनने से रोकते हैं। जहर में मौजूद न्यूरोटॉक्सिन पीड़ित के श्वसन प्रणाली को बंद कर देता है। वहीं, मायोटॉक्सिन मांसपेशियों पर हमला करता है। इसका जहर शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। यह इतना अधिक घातक है कि इलाज नहीं मिलने पर 80 फीसदी पीड़ितों की मौत हो जाती है। इसके जहर को इंसान की जान लेने में एक घंटा से भी कम समय लगता है। 

बेहद जहरीला होने के बाद भी यह सांप शर्मीले स्वभाव का है। यह इंसानों के संपर्क में कम ही आता है। हालांकि खतरा होने पर यह हमला करने से पीछे नहीं रहता। अगर इसने डस लिया तो एक घंटे में अस्पताल पहुंचना जरूरी होता है। चंद मिनटों की देरी भी जानलेवा साबित होती है।

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ईस्टर्न ब्राउन स्नेक को ब्राउन स्नेक के रूप में भी जाना जाता है। यह पूर्वी और मध्य ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। इस सांप का जहर पीड़ित के हृदय प्रणाली पर हमला करता है। इसके कार्डियोटॉक्सिक जहर के चलते ब्लड सेल्स टूट जाते हैं। इसके चलते दिल काम करना बंद कर देता है। ब्लड प्रेशर बहुत अधिक घट जाता है, जिससे दिल का दौड़ा पड़ता है। 

समय पर इलाज नहीं मिलने से शरीर के अंदर और बाहर बहुत अधिक खून निकलने के चलते पीड़ित की मौत तक हो जाती है। इस सांप के जहर के पीड़ित के दिल और किडनी पर गंभीर असर पड़ता है। इसके चलते इलाज मिलने पर अगर पीड़ित ठीक हो जाए तब भी उसे किडनी और दिल की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया में सर्पदंस से होने वाली 60 फीसदी मौतें ईस्टर्न ब्राउन स्नेक के चलते होती हैं।

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किंग कोबरा भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप है। यह मुख्य रूप से दूसरे सांपों को खाता है। किंग कोबरा 15 फीट तक लंबा हो सकता है। खतरा महसूस होन पर यह फन फैलकर खड़ा हो जाता है। किंग कोबरा अपने शरीर की एक तिहाई लंबाई को हवा में उठा सकता है, जिससे यह इंसान की आंख में आंख मिलाकर देख सकता है।

किंग कोबरा का जहर करैत और इनलैन टाइपैन जैसे सांपों की तुलना में कम जहरीला होता है, लेकिन यह अपने एक दंस में पीड़ित के शरीर में इतना अधिक जहर डाल देता है कि उसका बचान मुश्किल हो जाता है। यह पीड़ित के शरीर में एक बार में इतना जहर डालता है, जिससे 20 आदमी या फिर एक बड़े हाथी की मौत हो जाए। इलाज नहीं मिलने पर किंग कोबरा द्वारा डसे गए 50 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है। इसका न्यूरोटॉक्सिक जहर पीड़ित के नर्वस सिस्टम और दिमाग पर हमला करता है। इसके चलते सांस लेने में परेशानी होती है और दिल की धड़कन रुकने लगती है। 

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फेर-डी-लांस को बारबा अमरिला और कॉमन लांसहेड के रूप में भी जाना जाता है। पिट वाइपर प्रजाति का यह सांप मध्य और दक्षिण अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। यह सांप जंगल और झाड़ियों में घात लगाकर अपने शिकार का इंतजार करता है। यह सूखी पत्तियों के बीच खुद को बहुत अच्छी तरह छिपा लेता है। 

गलती से कोई इंसान के पैर पड़ जाए या फिर वह बेहद करीब आ जाए तो यह हमला कर देता है। सांप हवा में उछलकर डसने के लिए बदनाम है। यह इंसान के घुटने और उसके ऊपर तक हमला कर सकता है। इसके जहर में नेक्रोटाइजिंग होता है। इसके चलते पीड़ित के शरीर की कोशिकाएं बहुत तेजी से नष्ट होती हैं। तुरंत इलाज नहीं मिलने पर पीड़ित की मौत तक हो जाती है।

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करैत भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। भारत का सबसे जहरीला सांप होने पर भी यह शर्मीले स्वभाव का है। यह हमला करने की जगह खुद को बचाने के लिए भागने की कोशिश करता है। हालांकि गलती से पैर पड़ने या बेहद करीब पहुंच जाने पर यह हमला कर देता है।

करैत का जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है। यह दिमाग पर असर करता है और पीड़ित का श्वसन तंत्र धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है। यह सांप रात में एक्टिव होता है। कई बार इसके शिकार को पता भी नहीं चलता कि सांप ने डस लिया है और सोते-सोते उसकी मौत हो जाती है।

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टाइगर स्नेक दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया, आसपास के द्वीपों और तस्मानिया में पाया जाता है। इनका सामान्य नाम फिटिंग है। खतरा होने पर यह सांप जोर से फुफकारता है। इसके बाद भी अगर इंसान सतर्क नहीं हुआ तो यह हमला करने में देर नहीं लगाता। यदि काटने वाले को तुरंत इलाज नहीं मिला तो यह उसके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। 

टाइगर स्नेक के जहर में बहुत शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन और कॉगुलेंट होता है। न्यूरोटॉक्सिन तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और उसे बंद कर देता है। वहीं, कॉगुलेंट के चलते खून जमने लगता है। इससे पीड़ित के नसों में खून जेली की तरह जम जाता है। 

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बूमस्लैंग पेड़ों और झाड़ियों पर रहने वाला सांप है। यह खुद को इतनी अच्छी तरह छिपाकर रखता है कि डालियों और झाड़ियों में आसानी से नहीं दिखता। इसके जहर में हीमोटॉक्सिन होता है। इससे पीड़ित की लाल रक्त कोशिकाएं टूटने लगती है। इसके चलते पीड़ित के शरीर के अंदर और बाहर बहुत अधिक खून बहता है। समय पर इलाज नहीं मिलना जानलेवा साबित होता है।

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