जुग-जुग जीयो: सेलिब्रिटीज पर भारी पड़ी मासूम मर्दानी, इसके आंसू और मुस्कान पर मर मिटी दुनिया

Published : Feb 11, 2021, 06:33 PM ISTUpdated : Feb 11, 2021, 06:37 PM IST

मुंबई. बीमारियां बड़ी बेरहम होती हैं। वे अमीर-गरीब या उम्र नहीं देखतीं। बीमारियां किसी की मासूमियत भी नहीं देखतीं। कुछ लोग बीमारियों के आगे घुटने टेक देते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, जो मौत से भिड़ जाते हैं। 5 साल की तीरा कामत (Teera Kamat) स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी  (Spinal Muscular Atrophy) नाम की ऐसी बीमारी से पीड़‍ित हैं, जिसमें नर्व सेल्‍स बिल्‍कुल काम नहीं करतीं। जब इस बच्ची को मुंबई के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, तो उसकी मुस्कान और दर्द से रोना देखकर मानों लोग पिघल गए। अपनी बच्ची की जिंदगी की उम्मीद छोड़ चुके मां-बाप में भी हिम्मत आ गई। बच्ची के पिता ने सोशल मीडिया पर एक पेज बनाया और क्राउड फंडिंग शुरू की और 16 करोड़ रुपए जुटा लिए। इस पर लगने वाला टैक्स करीब 6.50 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री ने माफ कर दिया। यह मासूम साहस की एक मिसाल बनकर सामने आई है। देखते हैं हौसला दिखाते मासूस के कुछ फोटोज...

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जुग-जुग जीयो: सेलिब्रिटीज पर भारी पड़ी मासूम मर्दानी, इसके आंसू और मुस्कान पर मर मिटी दुनिया

तीरा जब पैदा हुई, तो अन्य बच्चों की तुलना में उसकी लंबाई ज्यादा थी। इसलिए उसका नाम तीरा रखा गया। इसका मतलब होता है लंबी।

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तीरा की बीमारी बेहद दुर्लभ है। इसमें छाती की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। इस बच्ची को Zolgensma नाम के इंजेक्शन की जरूरत है। यह ब्रिटेन से मंगाया जाएगा।

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स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी  (Spinal Muscular Atrophy) रीढ़ की हड्डी में होने वाली एक दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी है। इसे जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी यानी SMA भी कहते हैं। यह शरीर में SMN-1 जीन की कमी के कारण होती है।

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दुनिया में हर साल इस बीमारी से ग्रसित 60 बच्चे पैदा होते हैं। ये कुछ समय बाद दम तोड़ देते हैं। तीरा की जिंदगी पर भी खतरा बना हुआ है, लेकिन उसकी हंसी और दर्द देखकर सब कोशिश में जुट गए हैं, ताकि उसे लंबी उम्र दी जा सके।

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स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी  का तीन साल पहले तक इलाज ही संभव नहीं था। 2007 में लंबे रिसर्च के बाद इसका उपचार खोजा गया। इसमें Zolgensma नामक इंजेक्शन लगता है। लेकिन यह अभी सिर्फ ब्रिटेन में ही बनता है। कीमत भी इतनी अधिक की रईस लोग भी घबरा उठें।

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2017 में  15 बच्चों को  Zolgensma नामक इंजेक्शन लगाया गया था। ये बच्चे 20 सप्ताह से अधिक समय तक जीवित रहे थे।
(अपनी दादी की गोद में तीरा)

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तीरा को  अगर Zolgensma नामक इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है, तो यह अधिक से अधिक 18 महीने जीवित बचेगी।
(अपनी मां प्रियंका की गोद में तीरा)

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तीरा की ये तस्वीरें उसके इंस्टाग्राम पेज से ली गई हैं, जिसे क्राउड फंडिंग के लिए बनाया गया। तीरा का मां प्रियंका कहती हैं कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि तीरा की मुस्कान लोगों को इतना प्रभावित करेगी।

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तीरा के पिता मिहिर ने जब क्राउड फंडिंग के लिए कैम्पेन चलाया, तो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इमोशन हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर टैक्स माफ करने का निवेदन किया था।

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5 साल की तीरा एक ऐसी मिसाल बनकर सामने आई है, जो जिंदगी की उम्मीद दिखाती है। वो भारत के अलावा तमाम देशों के मीडिया में छाई हुई है।

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