The Kashmir Files के लिए चर्चाओं में बनी कश्मीर घाटी की रेत में मिला 9वीं सदी का ये दुर्लभ खजाना

श्रीनगर. भगवान विष्णु की यह दुर्लभ मूर्ति(Ancient sculpture of Lord Vishnu) चर्चा का विषय बनी हुई है। ये प्राचीन मूर्ति जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के काकापोरा इलाके में बहती झेलम नदी में मिली है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि लेल्हारा काकापोरा क्षेत्र के झेलम नदी में रेत निकालने के दौरान कुछ मजदूरों को नदी से एक प्राचीन मूर्ति मिली। यह मूर्ति बुधवार को मिली थी, जिसे जम्मू और कश्मीर के अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय को सौंप दिया गया है। तीन सिर वाली यह मूर्ति 9वीं शताब्दी की मानी जा रही है। बताया जाता है कि झेलम नदी में कुछ मजदूर रेत निकालने का काम कर रहे थे, तभी उन्हें यह मूर्ति दिखाई दी। पढ़िए फिर आगे क्या हुआ...

Amitabh Budholiya | Published : Apr 1, 2022 5:16 AM IST / Updated: Apr 01 2022, 11:00 AM IST
15
The Kashmir Files के लिए चर्चाओं में बनी कश्मीर घाटी की रेत में मिला 9वीं सदी का ये दुर्लभ खजाना

पुलिस को सूचना मिली थी कि काकापोरा के लेलहर गांव के कुछ मजदूरों को झेलम नदी से रेत की खुदाई के दौरान एक प्रतिमा मिली है। इस खबर के बाद काकापोरा पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ ) की अगुवाई में एक टीम मौके पर पहुंची और मूर्ति अपने कब्जे में ले ली। 

25

पुरातत्व से जुड़े मामलों की जानकार स्तंभकार मोनिदीपा बोस-डे के अलावा कइयों ने इस मूर्ति की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है। इसे वितस्ता (झेलम) नदी से रेत से निकाली गई चतुर्व्यूह विष्णु मूर्ति बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि चतुर्व्यूह श्री विष्णु के अवतार नहीं हैं। विष्णु के जो चार मुख हैं, वे हैं वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध। मोनिदीपा ने लिखा कि विष्णुधर्मत्तोरा के मुताबिक, चारों मुख चार गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं: बाल, ज्ञान, ऐश्वर्य और शक्ति।

35

 जम्मू-कश्मीर के अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के उप निदेशक मुश्ताक अहमद के अनुसार, यह एक अनूठी मूर्ति है। यह हरे रंग के पत्थर को तराशकर बनाई है। हालांकि मूर्ति के कुछ हिस्से टूट-फूट गए हैं। यह भी पढ़ें-The Kashmir Files:आधी-अधूरी फिल्म देखकर भागीं राणा अयूब को विवेक अग्निहोत्री ने बताया शैतान से बड़ा झूठा

45

भगवान विष्‍णु की इस प्राचीन मूर्ति के एक हाथ में शंख और दूसरे हाथ पद्म दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने सुंदर मुकुट, आभूषण और वस्‍त्र पहने हुए हैं। बता दें कि कश्मीर घाटी में पहले भी ऐसी दुर्लभ मूर्तियां मिलती रही हैं। महाराजा प्रताप सिंह ने 1904 में जम्मू-कश्मीर में पुरातत्‍व विभाग की स्‍थापना की थी। यह भी पढ़ें-The Kashmir Files:आधी-अधूरी फिल्म देखकर भागीं राणा अयूब को विवेक अग्निहोत्री ने बताया शैतान से बड़ा झूठा

55

जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में पुरातत्व महत्व की चीजें मौजूद हैं। यहां पुरातत्व विभाग को अकसर दुर्लभ मूर्तियां और वस्तुएं मिलती रही हैं। यह भी पढ़ें-गुड न्यूजः दिल्ली से बनारस का सफर सिर्फ 3.33 घंटे में, अभी 813 किमी की दूरी तय करने में लगते हैं 14 घंटे

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos