गुवाहाटी. एक ओर पूरी देश कोरोना संकट का सामना कर रहा है। वहीं, असम में एक नई मुसीबत सामने आई है। यहां कोरोना के साथ आसमान से बारिश के रूप में आफत बरस रही है। इसके चलते असम में बाढ़ आ गई है। ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इस वजह से 7 जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। कुल 2 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। प्रभावित जिलों में सड़कें बह गई हैं। इतना ही नहीं लोगों की फसलें भी बर्बाद हो गई हैं। घर से खेतों तक हर ओर सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है।
असम स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के मुताबिक, बाढ़ से धेमाजी, लखीमपुर, दर्रांग, नलबरी, गोअलपारा, डिब्रूगढ़ और तिनसुखिया के करीब 229 जिले प्रभावित हैं।
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बाढ़ से 194916 लोग प्रभावित हैं। इनमें से 9000 को 35 राहत शिविरों में रखा गया है। चार जिलों में राहत कैंप बनाए गए हैं।
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बाढ़ से 1007 हेक्टेयर की खेती में पानी भर गया है। इससे यहां की फसलें भी चौपट हो गई हैं। लोगों के कच्चे घर टूट रहे हैं। इसलिए चारों तरफ सिर्फ निराशा ही निराशा नजर आ रही है।
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राज्य की ज्यादातर नदियां उफान पर हैं। जिया भराली और ब्रह्मपुत्र नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं।
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राज्य में तमाम लोग ऐसे हैं, जिनके घर पानी में डूब गए हैं। एनडीआरएफ की टीम उन्हें राहत शिविरों में ले जाती।
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एनडीआरएफ की 40 से ज्यादा टीमें राहत के कामों में जुटी हैं। बताया जा रहा है कि 9 जिलों में स्थिति भयावह है।
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ब्रह्मपुत्र नदी ने विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है। जोरहाल में नदी खतरे के निशान के 15 सेमी ऊपर बह रही है।
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माना जा रहा है कि ब्रह्मपुत्र नदी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही और बारिश ना थमी तो लोगों को और समस्याएं हो सकती हैं।
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अपने परिवार को सुरक्षित स्थान पर ले जाता शख्स।
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घरों में पानी भर गया है। जिन लोगों तक राहत टीम नहीं पहुंच पा रही है। वे अस्थाई छतों पर रहने के लिए मजबूर हैं।
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खेतों में पानी भर गया है। किसान इस कोशिश में जुटे हैं कि फसल का थोड़ा बहुत हिस्सा किसी तरह से बचा लें।
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राज्यों में तेज बारिश और बहाव से सड़कें टूट गई हैं। बिजली के खंभों को भी काफी नुकसान पहुंचा है।
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कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। लोग गांव खाली करके राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।