SC में भाजपा वकील ने कहा, बागी विधायकों को आप के चेंबर में बुला लें, जज ने कहा, TV देख फैसला नहीं होता

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि पीएम मोदी कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं। यह साधारण फ्लोर टेस्ट का मामला नहीं। पैसे और ताकत का इस्तेमाल कर लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। दुनिया एक संकट (कोरोना) से जूझ रही है। यहां लोकतंत्र का हरण हो रहा है। मामला संविधान पीठ को भेजा जाए। कोई अंतरिम आदेश न दिया जाए।
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 18, 2020 11:06 AM IST / Updated: Mar 18 2020, 05:01 PM IST

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SC में भाजपा वकील ने कहा, बागी विधायकों को आप के चेंबर में बुला लें, जज ने कहा, TV देख फैसला नहीं होता
मध्यप्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करवाने की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान और अन्य की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अपनी सुनवाई कल भी जारी रखेगा।
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भाजपा की तरफ से दलील रख रहे वकील मुकुल रोहतगी ने कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने कोर्ट में कहा, यह 1975 में सत्ता के लिए देश पर इमरजेंसी थोपने वाली पार्टी है। किसी भी तरह सत्ता में बने रहना चाहती है।
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कांग्रेस का पक्ष रख रहे वकील दुष्यंत दवे ने कहा, कोर्ट बाद में विस्तार से मामला सुने। स्पीकर के वकील सिंघवी ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा। इसका मुकुल रोहतगी ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि हम अभी कोर्ट से कोई अंतरिम आदेश चाहते हैं। उन्होंने कहा, 16 विधायकों को अवैध हिरासत में रखा गया है। बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने इसे गलत बताया। कहा कि कोई हिरासत में नहीं है।
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मुकुल रोहतगी ने कहा, सत्ता के लिए अजीब दलीलें दी जा रही हैं, जिसके पास बहुमत नहीं है वह एक दिन सत्ता में नहीं रह सकता। यहां पहले खाली सीटों पर चुनाव की दलील देकर 6 महीने का प्रबंध करने की योजना है। चुनाव करवाना चुनाव आयोग का काम है। यहां इस पर विचार नहीं हो रहा, फ्लोर टेस्ट पर हो रहा है।
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जज ने कहा, विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने से पहले स्पीकर का संतुष्ट होना जरूरी है।
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भाजपा के वकील रोहतगी की कहा, राज्य में सरकार के बहुमत खो देने की शंका होने पर राज्यपाल को जरूरी कदम उठाने होते हैं। अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेजने से पहले राज्यपाल को सभी संभावित विकल्पों पर विचार करना होता है।
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स्पीकर के वकील सिंघवी ने कहा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद कोर्ट ने दखल दिया था। यहां विधानसभा का कार्यकाल चल रहा है। स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं दिया जा सकता। लोग चाहें तो अविश्वास प्रस्ताव लाएं। गवर्नर क्यों आदेश दे रहे हैं?
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कोर्ट में जज ने कहा, 2018 में कांग्रेस ने 114+7 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई। 6 इस्तीफे मंजूर हुए। क्या अब स्थिति 108+7 है? तब रोहतगी ने कहा इन आंकड़ों में आपको नहीं पड़ना चाहिए। राज्यपाल भूमिका निभा रहे हैं। तब जज ने कहा, 16 के इस्तीफे लंबित हैं। सरकार कहती है कि उनको भोपाल लाकर ही फ्लोर टेस्ट हो। जज ने सवाल किया कि क्या कोर्ट विधायकों को भोपाल आने को कह सकता है? हम यही कर सकते हैं कि देखें कि वह लोग स्वतंत्र निर्णय ले पा रहे हैं या नहीं?
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मुकुल रोहतगी ने कहा, वीडियो है जिसमें विधायक कह रहे हैं कि उन पर कोई दबाव नहीं है। वह अपनी मर्जी से बेंगलुरु में हैं। उन्होंने कहा, अगर कोई सीएम फ्लोर टेस्ट से बच रहा हो तो यह साफ संकेत है कि वह बहुमत खो चुका है। राज्यपाल को बागी विधायकों की चिट्ठी मिली थी। उन्होंने सरकार को फ्लोर पर जाने के लिए कह के वही किया जो उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है।
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तब जज ने कहा, हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम टीवी पर कुछ देख कर तय नहीं कर सकते। देखना होगा कि विधायक दबाव में हैं या नहीं? उन्हें स्वतंत्र कर दिया जाए। फिर वह जो करना चाहें करें। सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वह स्वतंत्र फैसला ले सकें।
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तब रोहतगी ने कहा, 16 विधायकों को जजों के चेंबर में पेश कर देते हैं। आप मिल लीजिए। तब जज ने इसके लिए मना कर दिया। तब रोहतगी ने कहा, फिर कर्नाटक हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को उनसे मिलने और वीडियो बनाने को कहिए। जजों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
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बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने दलील रखी। उन्होंने कहा, विधायकों ने प्रेस कॉफ्रेंस कर बताया है कि वह अपनी इच्छा से बेंगलुरु में हैं। इस्तीफा देना उनका संवैधानिक अधिकार है और उस पर फैसला लेना स्पीकर का कर्तव्य। वह इस्तीफों को लटका कर नहीं रख सकते।
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