विजय कुमार को इस बात का अंदाजा नहीं था कि एचबीआर लेआउट के पास आउटर रिंग रोड पर वह जिस ट्रैफिक जाम में फंस गए थे, उसी जगह पर उनके परिवार के दो सदस्यों की मौत हो जाएगी। तेजिस्वनी उनकी बहू थी।
घटना के अनुसार, लोहित सुबह अपने बच्चों को एक नर्सरी स्कूल और अपनी पत्नी को अपने कार्यालय छोड़ने के लिए टूव्हीलर से जा रहे थे, तभी यह हादसा हुआ।
विजय कुमार ने कहा-"मुझे पता ही नहीं चला वहां पिलर गिर गया है। मैंने सोचा कि अक्सर ट्रैफिक भीड़ में फंसना स्वाभाविक है। मैं गहरे दुख में हूं। इससे मुझे असहनीय क्षति हुई है। सुरक्षा सावधानियों को नजरअंदाज कर दिया गया।"
विजय कुमार ने आरोप लगाया कि जब मेट्रो रेल का काम चल रहा हो, तो किसी को भी खंभे के करीब 30 मीटर की दूरी तक जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन वाहन 5 और 10 फीट के भीतर चलते हैं, जो दिखाता है कि सुरक्षा उपाय कितने अवैज्ञानिक हैं।
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