कंपनी इंसानों पर क्लीनिकल ट्रायल साल 2020 के अंत तक करना शुरू करेगी। तब तक इसके परीक्षण यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन की प्रयोगशाला में चलते रहेंगे। एम2एसआर फ्लू का वायरस है, जिसमें एम2 जीन की कमी होती है। इसकी वजह से कोई भी वायरस शरीर के अंदर कोशिकाओं को तोड़कर नए वायरस नहीं बना पाता है, इसलिए यह दवा का आधार सफल रहा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, इंपीरियल कॉलेज और येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी नाक के म्यूकस के जरिए कोविड-19 को खत्म करने के लिए नेसल वैक्सीन यानी नाक से दी जाने वाली वैक्सीन भी बना रहे हैं। इस समय पूरी दुनिया में अमेरिका, कनाडा, नीदरलैंड्स, फिनलैंड्स और भारत में नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन बनाई जा रही है। इन पांचों देश में पांच दवा कंपनियां हैं, जो नेसल वैक्सीन बना रही हैं।