दिल्ली में कोरोना का कहर, श्मशान घाटों में लाशों को रखने के लिए नहीं बची जगह

नई दिल्ली. देशभर में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिसमें से दिल्ली और महाराष्ट्र में मरीजों की संख्या हर दिन तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। दिल्ली के निगमबोध गाट में सालों से अंतिम संस्कर करा रहे आचार्यों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोरोना काल में उनकी मुश्किलें बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि लाशें इतनी ज्यादा हो गई हैं कि उन्हें रखने तक की जगह भी नहीं मिल रही है।

Asianet News Hindi | Published : Jun 14, 2020 3:14 AM IST
17
दिल्ली में कोरोना का कहर, श्मशान घाटों में लाशों को रखने के लिए नहीं बची जगह

बताया जा रहा है कि बीते 15 दिनों से रोजाना 40 से 50 शवों का अंतिम संस्कार निगमबोध के आचार्य और उनकी टीम करा रही है। हालात ये हैं कि वो भी अब थक चुके हैं। लगातार बढ़ रही लाशों को देखकर वो भी परेशान हो गए हैं।

27

श्मशान घाट निगमबोध के आचार्यों का कहना है कि जब कोरोना से मरने वाले लोगों की डेड बॉडी ज्यादा आने लगी तो सरकार ने 4 और श्मशान घाटों को तैयार करना शुरू किया है।

37

देश की राजधानी दिल्ली में एक तरफ जहां कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 34,000 के पार पहुंच गया है तो वहीं दूसरी तरफ मौत का आंकड़ा भी हर दिन बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि श्मशान घाटों में अब जगह कम पड़ रही है।

47

यही वजह है कि दिल्ली में जहां पहले दो श्मशान घाट थे, उनको बढ़ा कर 4 कर दिया गया है। श्मशान घाट में रोजाना जितने भी कोरोना मरीजों के शवों को लाया जाता है उनका अंतिम संस्कार किया जाता है। उसमें भी 5 से 6 घंटे का वक्त लग रहा है।

57

निगमबोध घाट में लोगों के अंतिम संस्कार के लिए 100 के करीब प्लेटफॉर्म हैं, जिनमें से इन दिनों 48 प्लेटफार्म पर कोरोना के मरीजों का अंतिम संस्कार होता है। आलम यह है कि सभी प्लेटफॉर्म पूरी तरह से भरे हुए हैं। एक के बाद एक एंबुलेंस में शवों को लाया जा रहा है और उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

67

दिल्ली की ही एक मोनिका नाम की महिला ने मीडिया से बातचीत की है और उसने नम आंखों से बताया कि अपने पिता को एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया था। मोनिका का आरोप है कि अस्पताल की लापरवाही के चलते उनके पिता की मौत हो गई। सुबह जब वह अस्पताल पिता की डेड बॉडी लेने पहुंची तो उनके हाथ में अस्पताल की तरफ से किसी और व्यक्ति की डेड बॉडी दे दी गई। 

77

मोनिका की परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि जब निगमबोध घाट अपने पिता का अंतिम संस्कार करने पहुंचे तो वहां भी इनको चार से 5 घंटे का इंतजार करना पड़ा। ऐसा ही कुछ हाल पंजाबी बाग क्रीमेशन ग्राउंड का है, जो इकलौता दिल्ली का कंप्लीट कोरोना ग्राउंड है। इस घाट में 4 सीएनजी और 71 लकड़ी से चिताओं के जलने की व्यवस्था है। ग्राउंड के सभी प्लेटफॉर्म पर एक साथ कई चिताओं को जलाया जा रहा है, जो अपने आप में डरावना है।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos