दिल्ली हिंसा; अब तक 38 की मौत, नालों से निकल रहे शव; 400 से ज्यादा लोग हिरासत में लिए गए

नई दिल्ली. दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में फैला हिंसा में अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस को गुरुवार को नालों में कुछ शव मिले। हालांकि, मंगलवार रात से हिंसा की कोई घटना सामने नहीं आई। दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों में स्थिति सामान्य होती जा रही है। स्थिति को देखने के लिए शुक्रवार को 10 घंटे के लिए धारा 144 से छूट दी गई है। दिल्ली में 23 फरवरी को हिंसा की शुरुआत हुई थी। यह सिलसिला 24 और 25 फरवरी को चलता रहा। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 28, 2020 3:16 AM IST
127
दिल्ली हिंसा; अब तक 38 की मौत, नालों से निकल रहे शव; 400 से ज्यादा लोग हिरासत में लिए गए
दिल्ली पुलिस ने अब तक 130 लोगों को गिरफ्तार किया है। 400 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, अब तक दंगों के लिए 48 एफआईआर दर्ज हुई हैं। आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन और उनके सहयोगियों पर आईबी के अफसर अंकित शर्मा की हत्या का मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, अभी ताहिर की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
227
शर्मा और दंगों के केस क्राइम ब्रांच और एसआईटी को सौंप दिए गए हैं। एजेंसियों ने जांच भी शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दावा किया था कि दंगे सुनियोजित तरीके से फैलाए गए हैं।
327
हिंसाग्रस्त इलाकों से बड़ी मात्रा में पेट्रोल बम, रेहड़ी से बने पेट्रोल बम लॉन्चर मिलने से इस साजिश की आशंका और पुख्ता हो रही है। कहा जा रहा है कि ये सब एक रात में नहीं बनाया जा सकता।
427
हालांकि, अभी साजिश रचने के आरोप में पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है। उधर, भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर केस दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने चार हफ्तों के लिए सुनवाई टाल दी है।
527
उधर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिंसा में जान गंवाने वालों के परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा देने का मांग किया है। इसके अलावा जिनके घर और दुकानें जल गईं हैं, उन्हें पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता मिलेगी।
627
इसके अलावा सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि घायलों का प्राइवेट अस्पताल में इलाज का खर्चा भी उठाया जाएगा। रेस्क्यू और रिलीफ अभियान को देखने के लिए सरकार की ओर से 18 एसडीएम तैनात किए गए हैं।
727
दिल्ली के एलजी अनिल बैजल ने गुरुवार को स्थिति का जायजा लिया। साथ ही उन्होंने सुरक्षाबलों की तैनाती जारी रखने और पेट्रोलिंग करते रहने का आदेश दिया है।
827
इन दंगों की तुलना लोग 1984 के सिख विरोधी दंगों से भी कर रहे हैं। शिवसेना ने भी कहा, ये दंगे इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख दंगों की याद दिला रहे हैं। सिख दंगों में 3000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
927
यह हिंसा पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद और उसके आसपास के इलाकों में हुई। दरअसल, 22 फरवरी को देर रात जाफराबाद में मेट्रो स्टेशन के पास कुछ महिलाएं नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने बैठीं थीं।
1027
ये प्रदर्शन 23 फरवरी को भी जारी रहा। 23 फरवरी की शाम को इस प्रदर्शन के पास नागरिकता कानून के समर्थन में कुछ लोग मौजपुर में इकट्ठा हुए थे।
1127
दोनों गुटों में नारेबाजी के बाद हिंसक झड़प हुई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ। इसके बाद पुलिस ने वहां पहुंच कर स्थिति काबू में की। 23 फरवरी की रात को उपद्रवियों ने फिर हिंसा शुरू की।
1227
मौजपुर, करावल नगर, बाबरपुर, चांद बाग में पथराव और हिंसा की घटनाएं सामने आईं। प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
1327
हिंसा 24 फरवरी यानी सोमवार को भी जारी रही। बाबरपुर करावल नगर, शेरपुर चौक, कर्दमपुरी और गोकलपुरी में भी हिंसा हुई। यहां उपद्रवियों ने पेट्रोल पंप में आग लगा दी।
1427
दुकानों में तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों ने हाथ में तलवार और बंदूकें भी लहराईं।
1527
यह हिंसा उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा फैल गई। भजनपुरा में बस समेत कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पेट्रोल पंप में भी आग लगा दी गई। हिंसा में एक पुलिसकर्मी रतनलाल की मौत हो गई, जबकि डीसीपी घायल हो गए।
1627
उत्तर पूर्वी दिल्ली के इन इलाकों में तीसरे दिन भी हिंसा जारी रही। गोकलपुरी इलाके में टायर मार्केट को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा कर्दमपुरी, मौजपुर, ब्रह्मपुरी, गोकुलपुरी, ज्योति नगर समेत पूरे उत्तर पूर्वी दिल्ली में दिनभर हिंसा का सिलसिला चलता रहा।
1727
आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन की छत पर बड़ी मात्रा में पेट्रोल बम भी मिले।
1827
यह हिंसा नागरिकता कानून का विरोध और समर्थन कर रहे दोनों पक्षों में झड़प के बाद हुई। बताया जा रहा है कि हिंसा के लिए दोनों पक्षों के लोग जिम्मेदार है।
1927
उपद्रवियों ने दुकान में आग लगा दी।
2027
गोकुलपुरी में प्रदर्शनकारियों ने टायर के पूरे मार्केट को आग के हवाले कर दिया।
2127
इस हिंसा में जितनी गाड़ियां जलाई गईं, उसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आया। दंगों के बाद सड़कों पर मात्र गाड़ियों के राख और ढेर नजर आए।
2227
पुलिस पर फायरिंग करता शाहरूख नाम का उपद्रवी। अभी यह फरार है।
2327
प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर खड़ी कारों को भी आग के हवाले कर दिया।
2427
दो गुटों के बीच हुई इस हिंसा में कई लोग जान गंवा चुके हैं। सड़कों पर जली गाड़ियां हिंसा की भयावहता दिखाने के लिए काफी है।
2527
उपद्रवियों ने स्कूलों को भी नहीं छोड़ा।
2627
वाहन में आग लगाते प्रदर्शनकारी।
2727
जाफराबाद में सबसे ज्यादा हिंसा का असर रहा।
Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos