प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड, गुहार के बावजूद 6 दरिंदों ने बनाया था शिकार, खौफनाक है पूरी कहानी
नई दिल्ली. निर्भया मामले में चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी हो चुका है। 22 जनवरी सुबह 7 बजे चारों को फांसी दी जाएगी। हालांकि, इससे पहले दोषियों ने बचने के लिए क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है। इसपर 14 जनवरी को सुनवाई होनी है। दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से 6 लोगों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया की 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गई थी। इस मामले में चार दोषी जेल में बंद हैं। वहीं, एक दोषी ने जेल में ही आत्महत्या कर ली। इस घटना के वक्त एक दोषी नाबालिग था, वह रिहा हो चुका है।
16 दिसंबर को कड़ाके की ठंड थी। निर्भया अपने दोस्त के साथ मूवी देखकर लौट रही थी। दोनों ने मुनिरका से द्वारका के लिए ऑटो का इंतजार कर रहे थे। लेकिन काफी वक्त तक ऑटो नहीं मिला तो वे वहां काफी देर से खड़ी एक सफेद बस में सवार हो गए। इस बस में पहले से 6 लोग थे। निर्भया और उसका एक दोस्त इसमें सवार हो गए।
निर्भया के दोस्त के मुताबिक, बस थोड़ी दूर चली थी तभी बस में सवार एक व्यक्ति ने गेट बंद कर दिया। बस उस वक्त रिंग रोड पर थी। 3 लोग सीट पर आकर बैठ गए। उन लोगों ने निर्भया के दोस्त पर हमला किया। जब निर्भया ने फोन लगाने की कोशिश की तो उसका फोन भी छुड़ा लिया गया।
तीनों ने रॉड से निर्भया के दोस्त पर हमला कर दिया। उसे काफी मारा। वह बेहोशी की स्थिति में आ गया। इसके बाद वे निर्भया को बस के पीछे हिस्से में ले गए। जहां उन सब ने एक एक कर निर्भया के साथ दरिंदगी की। इस दौरान दरिंदों ने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाल दी। इससे निर्भया की आंते तक बाहर आ गईं।
निर्भया के दोस्त के मुताबिक, दोषी निर्भया को मरा हुआ समझ रहे थे। उन्होंने दोनों को बस से बाहर झाड़ियों में फेंक दिया। निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां 29 दिसंबर, 2012 को उसकी मौत हो गई थी।
निर्भया को न्याय मिलने में करीब सात साल से ज्यादा का वक्त लग गया है।