सुनंदा वशिष्ठ ने बताया था, ''मैं कश्मीर की अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से हूं। मैं यहां इसलिए बोल रही हूं क्यों कि मैं जिंदा हूं। मैं उस गिरिजा टिक्कू की बात कर रही हूं। वह सीधी साधी लैब असिस्टेंट थी। वह उतनी खुशनसीब नहीं थी, जितनी मैं हूं। उसका अपहरण हुआ, गैंगरेप हुआ। उसे जिंदा आरी मशीन में दो टुकड़ों में काट दिया गया। उसका गुनाह सिर्फ उसका धर्म था।