उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद NTPC कर टनल में फंसे लोगों को निकालने तीसरे दिन भी लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। बता दें कि ढाई किलोमीटर लंबी दूसरी टनल में रविवार रात बाढ़ का पानी भरने से रेस्क्यू रोकना पड़ा था। NDRF की टीम ने सोमवार को फिर से रेस्क्यू शुरू किया था। मंगलवार को रेस्क्यू का तीसरा दिन है। ऐसे में अंदर फंसे लोगों के जीवित होने की बस अब उम्मीद ही की जा रही है। अंदर कितने लोग फंसे होंगे, इसका सही आकलन नहीं हो पाया है, लेकिन माना जा रहा है कि इनकी संख्या 35 के आसपास है। अलग-अलग जगहों से 180 लोग लापता हैं। देखें रेस्क्यू की कुछ तस्वीरें...
बतादें कि ग्लेशियर टूटने के बाद आए सैलाब से तपोवन स्थित प्राइवेट कंपनी के ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट NTPC को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा।
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तीन दिन से चल रहे रेस्क्यू में तपोवन एरिया से 26 शव और 5 मानव अंग मिले हैं। सरकार के मुताबिक हादसे में 206 लोग लापता हैं। इनमें से 180 लोगों का अभी पता नहीं चल पाया है।
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रविवार सुबह करीब 10 बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिर गया था। इससे नदी का जलस्तर बढ़ गया था। यह नदी रैणी गांव में धौलीगंगा नदी में मिलती है। इसके बाद यहां भी बाढ़ आ गई थी।
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रेस्क्यू के लिए SDRF, NDRF, ITBP और आर्मी के मिलाकर करीब 600 जवान चमोली में मौजूद हैं। वहीं, वायुसेना के Mi-17 और ध्रुव समेत तीन हेलिकॉप्टर भी रेस्क्यू मिशन में लगे हैं।
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इस आपदा को केदारनाथ में 2013 में आई प्राकृतिक आपदा से बड़ा माना गया है। ग्लेशियर टूटने की इससे बड़ी घटना भारत में पहले कभी सामने नहीं आई।
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NTPC की जिस टनल में लोगों के फंसे होने की आशंका है, उसमें गीला मलबा भरा हुआ है। ऐसे में रेस्क्यू टीम को दिक्कत आ रही है। रेस्क्यू का मंगलवार को तीसरा दिन है। बावजूद टीम ने उम्मीद नहीं खोई है।
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टनल में गीला मलबा भर जाने से ऑक्सीजन की कमी भी हो गई है। इसके अलावा एक साथ दो मशीने भी अंदर नहीं जा सकतीं। ऐसे में अंदर फंसे लोगों के जिंदा होने की अब बस उम्मीद ही की जा रही है।
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आर्मी इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रही है। आशंका है कि टनल में गीला मलबा भरने पर कुछ गाड़ियां फंस गईं। टनल में मौजूद लोग इनमें हो सकते हैं।
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इस पूरे रेस्क्यू के दौरान टीम पीड़ितों के खाने-पीने का इंतजाम भी कर रही है। लापता लोगों के परिजनों को सहारा दे रही है।
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रेस्क्यू टीम दो तरह से काम कर रही है, पहला टनल में फंसे लोगों को जीवित निकालने की कोशिश और दूसरा पीड़ितों की देखभाल।