Published : Jun 13, 2022, 07:23 PM ISTUpdated : Jun 14, 2022, 10:56 AM IST
Minority Condition in Pakistan: दुनियाभर में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का ढिंढोरा पीटने वाले पाकिस्तान (Pakistan) में हिंदू, सिख और ईसाइयों की क्या हालत है, ये किसी से छुपा नहीं है। पाकिस्तान में आए दिन हिंदुओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं। कभी मंदिरों को तोड़ा जाता है तो कभी ग्रंथी की बेटी को उठा लिया जाता है। टारगेट किलिंग और ईशनिंदा के नाम पर पाकिस्तान में आए दिन हिंदू और बाकी अल्पसंख्यक मारे जा रहे हैं। हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान में न के बराबर अधिकार हैं। उनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है।
पाकिस्तान में आए दिन मंदिरों को पर हमले कर उन्हें तोड़ा जा रहा है। इतना ही नहीं, ज्यादातर मंदिरों को अब दुकान और दफ्तरों में तब्दील कर दिया गया है। हर साल हजारों अल्पसंख्यक लड़कियों को जबरन अगवा कर उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है।
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कुछ दिनों पहले कराची के कोरंगी इलाके में स्थित श्री माता मंदिर को मुस्लिमों ने तोड़ दिया। कट्टरपंथियों ने न सिर्फ इस मंदिर के बाहर तोड़फोड़ की बल्कि अंदर रखी देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी खंडित कर दिया। इस घटना के बाद से ही हिंदू वहां डर के साए में जी रहे हैं।
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इससे पहले अक्टूबर, 2021 में भी कोटरी में सिंधु नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक मंदिर को वहां के कुछ लोगों ने अपवित्र कर दिया था। इसके साथ ही मंदिर में तोड़फोड़ भी की थी।
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सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लूरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स (CDPHR) की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ गैर-नागरिक जैसा बर्ताव किया जाता है। उनको वहां आवाज उठाने का कोई अधिकार नहीं है।
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इसके अलावा पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून है, जिसकी आड़ में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जाता है। इस्लाम, कुरान या फिर पैगंबर को बदनाम करने की झूठी अफवाहें फैलाकर अल्पसंख्यकों के साथ मारपीट कर उनका जबरन धर्मांतरण कराया जाता है।
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अमेरिका की रिलिजियस फ्रीडम रिपोर्ट के मुताबिक, वहां हर साल 1 हजार से ज्यादा लड़कियों की जबरन शादी कराई जाती है। इसके बाद उनका धर्मांतरण कर दिया जाता है। ये घटनाएं ज्यादातर हिंदू, सिख और ईसाई लड़कियों के साथ ही होती हैं।
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8 साल पहले ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट ने एक सर्वे किया था। इसमें कहा गया था कि बंटवारे के वक्त यानी 1950 के आसपास पाकिस्तान में करीब 428 मंदिर थे। लेकिन 1990 आते-आते करीब 408 मंदिरों में खिलौने की दुकानें, होटल्स, ऑफिस और मदरसे खोल दिए गए।
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बंटवारे के बाद 1951 में हुई जनगणना के मुताबिक, उस समय पाकिस्तान में करीब 97 लाख हिंदू थे, जो अब घटकर सिर्फ 36 लाख बचे हैं। वहीं पाकिस्तान की कुल आबादी 20.76 करोड़ है। मतलब पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी अब 2 प्रतिशत भी नहीं रह गई है।