जानलेवा बर्फबारी में भी देश की रक्षा को तैनात रहते हैं जवान, जानें कैसी रहती हैं उनकी लाइफस्टाइल

जम्मू. कश्मीर में एलओसी के पास तापमान माइनस 20 से 25 सेल्सियस तक चला जाता है. ऐसे में वहां सीमा की रक्षा के ल‍िए तैनात जवानों का जीवन सरल नहीं है। वह देश की रक्षा के ल‍िए खतरनाक मौसम में भी डटे रहते हैं। इस मौसम में सैन‍िकों की जीवटता देखने वाली होती है। सियाचिन के ग्लेशियरों में भी भारतीय सेना के जवान हर पल हमारी रक्षा के लिए तैनात रहते हैं। माइनस डिग्री तापमान में भी हमारे जवान देश की रक्षा के लिए सीना ताने खड़े रहते हैं। आज हम आपको शरीर के खून को जमा देने वाली ठंड में भी मुस्तैदी से सीमाओं की रक्षा करने वाली भारतीय सेना के बहादुर जवानों के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर बर्फबारी के दिनों में उनके लाइफ स्टाइल क्या रहती है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 16, 2020 9:41 AM IST
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जानलेवा बर्फबारी में भी देश की रक्षा को तैनात रहते हैं जवान, जानें कैसी रहती हैं उनकी लाइफस्टाइल


पिछले 30 सालो में साढ़े आठ सौ से अधिक सैनिकों की बर्फबारीऔर दुश्मन की गोलीबारी के कारण सियाचिन में जान जा चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत से लगभग 10,000 सैनिक अब तक इन शिविरों में शहीद हो चुके हैं। 
 

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सियाचिन की बात करें तो वहां तापमान शून्य से 60 डिग्री नीचे रहता है और अचानक होने वाली जानलेवा बर्फबारी वहां की सबसे बड़ी परेशानी है। सियाचिन में मैदानी इलाकों में केवल 10 प्रतिशत ऑक्सीजन उपलब्ध है। सियाचिन ग्लेशियर पर स्नोस्टॉर्म कभी-कभी 3 सप्ताह तक चलते हैं। यहां हवाएं 100 मील प्रति घंटे की गति को छू सकती हैं। सियाचिन में हर साल बर्फबारी 3 दर्जन फीट से भी अधिक हो सकती है।

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सियाचिन में मुस्तैद सैनिक लंबे समय तक उस ऊंचाई पर रहने वाले भारतीय सैनिक वजन घटने, भूख की कमी, नींद की कमी जैसी परेशानियों के भी शिकार होते हैं। वहां सैनिकों को फ्रॉस्टबाइट होने का खतरा होता है यदि उनकी नंगी त्वचा 15 सेकंड से अधिक समय तक किसी भी धातु वस्तु को छूती है।
 

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यहां सैन‍िक की पोस्ट आधी बर्फ में होती है। बर्फ में आधा शरीर होने के बाद भी वह घंटों तक सीमा की रखवाली के ल‍िए हथ‍ियारों के साथ तैनात रहते हैं।

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यहां रहने के ल‍िए सैन‍िकों को एस्क‍िमो टाइप के स्पेशल हट बनाकर द‍िए जाते हैं जो एयर और वाटरप्रूफ होते हैं। इस तरह के घरों में बर्फ फ‍िसलकर नीचे ग‍िर जाती है और हवा, पानी भी अंदर नहीं जाता।

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जब इन इलाकों में बहता हुआ पानी जम जाता है तो फ‍िर पीने और नहाने के पानी के ल‍िए बर्फ का ही इस्तेमाल करना होता है। जीरो तापमान पर वाटर सप्लाई के पाइप में पानी जम जाता है। तब पीने और नहाने के ल‍िए बर्फ को उबालना पड़ता है, तब जाकर सैन‍िकों को पीने का पानी म‍िलता है।

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इस मौसम में सैन‍िकों के ल‍िए स्पेशल व‍िंटर ड्रेस होती है ज‍िसमें पैंट, जैकेट, ग्लव्स, होते हैं। इस ड्रेस की वजह से उन्हें बर्फ में चलने में कोई परेशानी नहीं होती और शरीर गर्म रहता है।
 

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ऊंची जगहों पर जाने की बेहतर सुव‍िधा हो, इसके ल‍िए स्नो स्कूटर भी सैन‍िकों को प्रोवाइड कराए जाते हैं। बर्फ की वजह से जब सतह स्ल‍िपरी हो जाती है, तब यह काफी मददगार होते हैं।

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