ये बात साल 1998 में की है, जब फरवरी में राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया। जिसके बाद कांग्रेस नेता जगदम्बिका पाल को सूबे का मुख्यमंत्री बनाया गया। जिसके बाद कल्याण सिंह सरकार इलाहबाद हाईकोर्ट चले गए, और कोर्ट के आदेश के बाद दोबारा कल्याण सिंह की सरकार बहाल हुई। हालांकि उस समय जगदम्बिका पाल अपने 3 दिन के कार्यकाल को लेकर चर्चा में रहे।
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उत्तराखंड में 2016 में नौ कांग्रेस के विधायकों ने बजट के समय विरोध शुरू कर दिया था। जिसके बाद तात्कालनीन राज्यपाल 28 मार्च 2016 को एक स्टिंग ऑपरेशन को आधार बनाकर हरीश रावत सरकार को बर्खास्त कर दिया था। जिसके बाद हरीश रावत सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था, कि फ्लोर टेस्ट ही सरकार का भविष्य तय कर सकता है। जिसके बाद केंद्र सरकार मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गई। 10 मई को हरीश रावत सरकार ने बहुमत 61 में 33 वोट हासिल कर जीत लिया।
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साल 2000 में बिहार में भी राजनैतिक संकट खड़ा हुआ था। समता पार्टी के नेता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। लेकिन यह सरकार महज आठ दिन रही। नीतीश कुमार उस समय सदन में बहुमत साबित करने में असफल रहे। उसके बाद आरजेडी की तरफ से राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया गया।
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इन सब में सबसे अनोखा मामला तमिलनाडू का रहा, जब पूर्व मुख्यमंत्री जयराम जयललिता का देहांत हो गया। उनकी जगह कार्यवाहक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे ओ. पन्नीरसेल्वम को सीएम बना दिया गया। लेकिन जल्द ही जयललिता की दोस्त शशिकला को AIADMK का महासचिव नियुक्त कर दिया गया। जिसके बाद पन्नीरसेल्वम ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, ताकि शशिकला को मुख्यमंत्री बनाया जा सके। जिसके बाद पन्नीरसेल्वम ने आधी रात को मीडिया के सामने आकर कहा, कि उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर किया गया। लेकिन कुछ दिन बाद शशिकला पर चल रहे भ्रष्टाचार के आरोप में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। जिसमें उन्हें दोषी करार दिया गया। इसके बाद पार्टी ने सबकी सहमती से ई. पलानीस्वामी को सीएम बनाया गया।
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कर्नाटक में पहले भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है। 2018 को विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया। जिसमें 222 सीटों में कांग्रेस सरकार को 80 सीटें मिली। जबकि बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी। वहीं जेडीएस को 37 सीटें मिली। यहां कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर गठबंधन बना लिया, और आंकड़ा 117 पर जा पहुंचा। 17 मई को बीएस येदियुरप्पा ने गोपनियता की शपथ ली। उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय मिला। जिसके बाद येदियुरप्पा ने बिना फ्लोर टेस्ट किये इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर गठबंधन की सरकार बना ली और एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री चुना।