लाल किला पर DRDO ने तैनात किया यह एंटी ड्रोन सिस्टम, जानें कैसे करता है हवा में उड़ते ड्रोन का शिकार

Published : Aug 14, 2022, 03:00 PM ISTUpdated : Aug 14, 2022, 03:06 PM IST

नई दिल्ली। भारत अपनी आजादी का 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 अगस्त को दिल्ली के लाल किला पर मुख्य कार्यक्रम होगा। इस दौरान आतंकी हमले के खतरे को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त कर दी गई है। दिल्ली पुलिस के 10 हजार जवानों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही अन्य सुरक्षा बलों के जवान भी लाल किला की सुरक्षा के लिए तैनात हैं। आसमान पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। ड्रोन हमले के खतरे को देखते हुए डीआरडीओ (DRDO) ने लाल किला पर एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया है। यह सिस्टम आकाश पर किसी बाज की तरह नजर रखता है और ड्रोन का शिकार करता है। आगे पढ़ें कैसे काम करता है यह सिस्टम...  

PREV
15
लाल किला पर DRDO ने तैनात किया यह एंटी ड्रोन सिस्टम, जानें कैसे करता है हवा में उड़ते ड्रोन का शिकार

डीआरडीओ के अधिकारियों के अनुसार लाल किला पर लंबे रेंज वाले ड्रोन डिटेक्शन रडार और निगरानी रडार लगाए गए हैं। ये किसी भी आकार के ड्रोन को करीब चार किलोमीटर की दूरी से पहचान सकते हैं। रडार 360 डिग्री में आसमान पर नजर रखता है।

25

डीआरडीओ के एंटी ड्रोन सिस्टम के चार मुख्य हिस्से (रडार, जैमिंग डिवाइस, लेजर फायर सिस्टम और कंट्रोल सेंटर) हैं। ये चारों हिस्से मिलकर काम करते हैं। रडार का काम 360 डिग्री में आसमान पर नजर रखना है। इससे पता चलता है कि कोई ड्रोन हमला करने आ रहा है या नहीं। 
 

35

रडार से मिलने वाली सूचना कंट्रोल रूम में जाती है। जैसे ही रडार किसी ड्रोन की पहचान करता है कंट्रोल रूम में तैनात अधिकारी तुरंत हरकत में आ जाते हैं। ड्रोन को मार गिराने के लिए दो तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। पहला है सॉफ्ट किल और दूसरा है हार्ड किल। 
 

45

सॉफ्ट किल तरीके में ड्रोन को मार गिराने के लिए जैमिंग उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए ड्रोन के कम्युनिकेशन सिस्टम को जैम कर दिया जाता है, जिससे वह काम नहीं कर पाता और जमीन पर गिर जाता है। 
 

55

अगर किसी ड्रोन को एंटी जैमिंग फीचर से लैस किया गया है तो वह जैमिंग के प्रयास से बच सकता है। ऐसा होने पर हार्ड किल तरीके का इस्तेमाल होता है। इसमें अधिकारी लेजर फायर कर ड्रोन को हवा में ही जला देते हैं। 
 

Recommended Stories