एक-दूसरे से 100 किलोमीटर दूर हैं अजंता-एलोरा की गुफाएं, फिर भी हमेशा साथ लिया जाता है नाम, जानें क्यों

Dil Se Desi : भारत में आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 75वें स्वतंत्रता दिवस (75th Independence Day) से 75 सप्ताह पहले इसकी शुरुआत की थी। 15 अगस्त, 2022  को आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। ऐसे में हम आपको उन मशहूर और यादगार स्मारक, मंदिर व म्यूजियम के बारें में बता रहे हैं, जिनकी कहानी हिंदुस्तान की सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए हैं। 'Dil Se Desi' सीरीज में बात महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित अजंता-एलोरा गुफाओं (Ajanta Ellora Caves) की...

Asianet News Hindi | Published : Aug 7, 2022 7:12 PM IST

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एक-दूसरे से 100 किलोमीटर दूर हैं अजंता-एलोरा की गुफाएं, फिर भी हमेशा साथ लिया जाता है नाम, जानें क्यों

जब दुनिया के सामने आई अजंता-एलोरा की कहानी
अजंता-एलोरा गुफाओं की खोज ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ और उनकी टीम ने की थी। दरअसल 1819 में वे यहां शिकार करने आए थे। तभी उन्हें 29 गुफाएं नजर आई। इसके बाद ही इन गुफाओं की कहानी दुनिया के सामने आईं। ये गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। अजंता की गुफाओं की ज्यादातर दीवारों पर बौद्ध धर्म से जुड़ी नक्काशी मिलती है, जबकि एलोरा की गुफाओं में बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म से जुड़ी वास्तुकला और मूर्तियां हैं।

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अजंता का नाम कैसे पड़ा
अजंता में 30 गुफाएं हैं। घोड़े की नाल के आकार में पहाड़ों को काटकर इन गुफाओं को बनाया गया है। इन गुफाओं के सामने से वाघोरा नदी बहती है। यहीं पास में अजंता नाम का एक गांव है, जिसके नाम पर इन गुफाओं का नाम रखा गया है। अजंता की गुफाओं में दीवारों पर अप्सराओं और राजकुमारियों की अलग-अलग मुद्राओं में चित्र उकेरे गए हैं। इन गुफाओं के एक भाग में बौद्ध धर्म के हीनयान और दूसरे भाग में महायान संप्रदाय की झलक दिखाई देती है। 19वीं शताब्दी की इन गुफाओं में बौद्ध भिक्षुओं की मूर्तियां और चित्र हैं। 

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एलोरा में 34 गुफाएं
एलोरा की गुफाओं का निर्माण 5वीं और 10वीं शताब्दी के बीच कराया गया था। ये गुफाएं बेसाल्टिक की पहाड़ी के किनारे-किनारे बनी हुई हैं। इसमें 34 गुफाएं शामिल हैं, जो करीब दो किलोमीटर तक फैली हुई हैं। इन गुफाओं में हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म से जुड़ी चित्रकारी और मूर्तियां हैं। यहां ज्यादातर विहार और मोनैस्ट्रीज हैं। बुद्धिस्ट केव यानी विश्वकर्मा केव सबसे ज्यादा पॉपुलर है।

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अजंता-एलोरा का नाम एक साथ क्यों
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में अजंता और एलोरा की गुफाएं हैं। बड़े-बड़े पहाड़ और चट्टानों को काटकर इन्हें बनाया गया है। इनकी कारीगरी वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। वैसे तो ये गुआएं एक-दूसरे से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर हैं लेकिन इनका महत्व, इनकी सुंदरता, इनकी बनावट, इनकी विरासत करीब-करीब एक समान है, जिसके कारण इन दोनों गुफाओं का नाम हमेशा एक साथ ही लिया जाता है।

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वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में अजंता-एलोरा
अजंता-एलोरा की गुफाओं को 1983 में वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किया गया था। आर्कियोलॉजिस्ट की एक रिसर्च के मुताबिक, इन गुफाओं का निर्माण करीब 4000 साल पहले हुआ था। इन गुफाओं को बनाने उस वक्त कौन सी तकनीक इस्तेमाल में लाई गई होगी, यह रहस्य ही है। अनुमान है कि अजंता-एलोरा की गुफाएं लगभग 40 लाख टन की चट्टानों से मिलकर बनाई गई है। 

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