दोनों बहनों के शहीद होने के बाद जब जसवंत सिंह पर रसद और सामान की कमी होने लगी तो उन्होंने तीसरे दिन खुद को गोली से उड़ा लिया। लेकिन तब तक वे 300 सैनिकों को ढेर कर चुके थे। यहां जब चीनी सेना ने देखा कि अकेला एक सैनिक किस तरह उन पर भारी पड़ रहा था, वे आश्चर्य चकित रह गए। चीनी कमांडर जसवंत सिंह का सिर काट ले गए थे। लेकिन युद्धविराम के बाद जसवंत सिंह को चीनी सेना ने सम्मान दिया। ना सिर्फ उनका सिर वापस किया, बल्कि उनकी कांस से बनी मूर्ति भी भेंट की।