जानिए क्या हैं पैंगोंग झील की फिंगर्स, जिन्हें लेकर भारत और चीन की सेना के बीच हुई झड़प

नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। 15 जून को गलवान में हुई हिंसा के 75 दिन बाद 29-30 अगस्त को दोनों देशों की सेनाओं के बीच एक बार फिर झड़प की खबरें आ रही हैं। बताया जा रहा है कि चीन के सैनिकों ने पैंगोंग झील के पास घुसपैठ की कोशिश की थी। इसे भारतीय जवानों ने नाकाम कर दिया। बता दें कि भारत और चीन के बीच कई स्तर की बातचीत के बाद भी फिंगर्स को लेकर विवाद निपट नहीं रहा है। आईए जानते हैं कि आखिर ये फिंगर्स हैं क्या?

Asianet News Hindi | Published : Aug 31, 2020 9:24 AM IST

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जानिए क्या हैं पैंगोंग झील की फिंगर्स, जिन्हें लेकर भारत और चीन की सेना के बीच हुई झड़प

पिछले कुछ सालों से चीन पैंगोंग झील के किनारे निर्माण कार्य चला रहा है। 1999 में करगिल युद्ध के वक्त चीन ने मौके का फायदा उठाकर भारत की सीमा में झील के किनारे 5 किमी लंबी सड़क बना ली थी। झील के किनारे कुछ बंजर पहाड़ियां हैं, इन पहाड़ियों के उभरे हिस्से को फिंगर्स के नाम से जाना जाता है। 

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भारत का दावा है कि एलएसी की सीमा फिंगर 8 से है। यानी सभी 8 फिंगर भारत के हिस्से में हैं। भारत के पास फिंगर 4 तक का नियंत्रण है। जबकि फिंगर 8 तक भारत पेट्रोलिंग करता है। वहीं, चीन की पोस्ट फिंगर 8 पर है। लेकिन उसका दावा है कि एलएसी फिंगर 2 तक है। 

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चीन लगातार फिंगर 4 तक कब्जा करने की कोशिश में जुटा रहता है। 6 साल पहले भी चीन ने फिंगर पर स्थाई निर्माण की कोशिश की थी, लेकिन भारत ने इसे गिरा दिया था। चीन की सेना फिंगर 2 तक हल्के वाहनों से पेट्रोलिंग करती है। लेकिन भारतीय सेना उन्हें देखकर वापस जाने के लिए कह देती है। इस क्षेत्र में पैट्रोलिंग गाड़ियां घुमाने पर भी रोक है। 

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भारत की ओर से फिंगर 8 तक पैदल गश्त किया जा रहा है। मई में भारत और चीन के सैनिक फिंगर 5 के इलाके में आमने सामने आ गए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच विवाद चल रहा है। 

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पैंगोंग झील हिमालय में 14000 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर है। यह झील लेह से करीब 54 किमी दूर है। झील करीब 135 किलोमीटर लंबी है। यह झील सर्दियों में पूरी जम जाती है। बताया जाता है कि 19वीं सदी में डोगरा साम्राज्‍य के जनरल जोरावर सिंह ने अपने सैनिकों और घोड़ों को इसी जमी हुई झील पर ट्रेनिंग दी थी। पैंगोंग लद्दाखी शब्द है। इसका अर्थ है गहरा संपर्क। वहीं, त्सो एक तिब्बती शब्द है, इसका अर्थ होता है झील। 
 

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भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।

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