क्या LAC पर मौजूदा स्थिति को बदलने की हो रही एकतरफा कोशिश? भारत-चीन विवाद पर बोला विदेश मंत्रालय

Published : Sep 25, 2020, 02:53 PM IST

नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में तनाव अब तक बरकार है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बैठक कइयों बार हुई। लेकिन, इन वार्ताओं का कोई निष्कर्ष नहीं निकला। हाल ही में चीन ने एक बार फिर से भारत की सीमा में घुसने की कोशिश की थी। हालांकि, भारतीय सैनिकों ने उनके इरादों को पस्त कर दिया। इसके बाद से LAC पर दोनों की सेनाओं में भारी संख्या में तैनात कर दी गईं। अब सीमा विवाद को लेकर भारत-चीन अगले राउंड की बातचीत जल्द हो सकती है। 

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क्या LAC पर मौजूदा स्थिति को बदलने की हो रही एकतरफा कोशिश? भारत-चीन विवाद पर बोला विदेश मंत्रालय

इससे पहले विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि डिसएंगेजमेंट एक मुश्किल (कॉम्प्लेक्स) प्रोसेस है, इसके लिए दोनों तरफ से सहमति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत होगी। मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि अब इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि एलएसी पर मौजूदा स्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश नहीं हो पाए।

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव को कम करने के लिए आर्मी और डिप्लोमेटिक लेवल पर भले ही बातचीत चल रही हो, लेकिन चीन पीठ पीछे चाल चलने से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने भूटान से लगे डोकलाम के पास अपने एच-6 परमाणु बॉम्‍बर और क्रूज मिसाइल को तैनात किया है। 
 

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बताया जा रहा है कि चीन इन हथियारों की तैनाती अपने गोलमुड एयरबेस पर कर रहा है, जो भारतीय सीमा से सिर्फ 1150 किलोमीटर दूर है। सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत-चीन के कॉर्प्स कमांडर अब तक 6 बार मीटिंग कर चुके हैं। कोर कमांडरों की बैठक के बाद भले ही दोनों पक्ष एलएसी पर मौजूदा स्थिति को बनाए रखने की कोशिश में हैं, लेकिन भारत सतर्क है। 

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भारतीय सेना की ओर से साफतौर से तय किया गया है चीन के पीछे हटने के साफ संकेत मिलने तक पैंगॉन्ग की ऊंची पहाड़ियों पर हमारे जवान डटे रहेंगे। दूसरी तरफ विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि भारत और चीन एक अजीब (अन्प्रेसिडेन्टिड) स्थिति में हैं। 

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विदेश मंत्री ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में कहा कि 'इस बीच सीमा विवाद एक बड़ा मुद्दा है। यह बात अहम है कि दोनों देश एक-दूसरे की जरूरतों को भी समझते हैं। भारत-चीन को मिलकर समाधान तलाशना चाहिए।' 

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को कहा कि 'वो जानते हैं कि भारत और चीन सीमा विवाद को लेकर मुश्किल में हैं, लेकिन उम्मीद है कि वो विवाद सुलझा लेंगे।' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर वो इस मामले में दोनों देशों की कुछ मदद कर सकेंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा।'

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मीडिया रिपोर्ट्स में कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत-चीन का विवाद सुलझाने में मदद के लिए डोनाल्ड ट्रंप इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उनकी नजर शांति नोबल पुरस्कार पर है। इसलिए, वो भारत-चीन के मामले में दखल का ऑफर एक बार रिजेक्ट होने के बाद फिर से दे रहे हैं। नॉर्वे की संसद के एक सदस्य ने ट्रम्प को नोबेल के लिए नॉमिनेट किया है। यूएई और इजरायल के बीच डिप्लोमेटिक रिश्तों में मदद करने की वजह से ट्रम्प के नाम का प्रपोजल रखा गया है।

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