केदारनाथ त्रासदी: लापता 3 हजार शवों की तलाश में बनाई गई 10 टीमें, शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन

देहरादून. उत्तराखंड के केदारनाथ में 2013 में आई त्रासदी को कोई कैसे भूल सकता है। इस आपदा में हजारों लोगों ने अपनों को खोया ना जाने कितने बच्चे अनाथ हो गए। इस त्रासदी में हजारों लोग मारे गए और कुछ लापता हो गए, जिनका अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। ऐसे में उत्तराखंड पुलिस ने एक बार फिर से लापता और मारे गए लोगों के शवों का सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। बताया जा रहा है कि जिनके भी शव मिलेंगे उनका डीएनए टेस्ट होगा इसके बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।

Asianet News Hindi | Published : Sep 17, 2020 8:05 AM IST
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केदारनाथ त्रासदी: लापता 3 हजार शवों की तलाश में बनाई गई 10 टीमें, शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन

शवों की तलाश शुरू किए जाने वाले सात दिवसीय (एक हफ्ते) की खोजबीन अभियान के लिए पुलिस की दस टीमों का गठन किया गया है। नर कंकालों की खोजबीन के लिए बीते 6 सालों में शासन द्वारा कई सर्च अभियान चलाए जा चुके हैं, जिसमें 700 से भी ज्यादा कंकाल मिले थे, जबकि रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि अभी भी 3000 से ज्यादा लोगों के शव बरामद नहीं हो पाए हैं। 

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बता दें, केदारनाथ में ये प्रलय 2013 में आई थी। इस दौरान भारतीय सेना और पुलिस द्वारा हजारों लोगों को रेस्क्यू किया गया था। रेस्क्यू दलों द्वारा चार हजार से अधिक शव बरामद किए गए थे, लेकिन 3700 से ज्यादा लोग तब से अब तक गायब हैं। कई बार सर्च अभियान चलाए जाने के बाद पुलिस को 700 से ज्यादा शव खोजने में सफलता मिली थी। 

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अब बताया जा रहा है कि आज यानी की 17 सितंबर से एक बार फिर से पुलिस द्वारा कंकालों की खोजबीन शुरू की जा रही है। इसके लिए पुलिस और एसडीआरएफ द्वारा संयुक्त रूप से दस टीमों के माध्यम से सर्च अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए कहा जा रहा है कि स्थानीय निवासियों का भी सहयोग लिया जाएगा। स्थानीय निवासियों को सभी तरह की जानकारी बाकी लोगों से अधिक होती है और वो रास्तों से भी अंजान नहीं होते हैं।

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टीम में रुद्रप्रयाग, चमोली और पौड़ी गढ़वाल से सात उप निरीक्षक और 20 आरक्षी के साथ एसडीआरएफ के तीन उप निरीक्षक, एक मुख्य आरक्षी और 19 आरक्षी शामिल हैं। साथ ही रुद्रप्रयाग जिले से 10 फार्मेसिस्ट भी टीम में हैं। प्रत्येक टीम में उप निरीक्षक समेत पुलिस व एसडीआरएफ के दो-दो आरक्षी और एक फार्मेसिस्ट को रखा गया है। 

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टीमों को रात में रुकने के लिए सामग्री स्लीपिंग बैग समेत सुरक्षा उपकरण और वीडियोग्राफी के लिए कैमरे उपलब्ध कराए गए हैं। आईजी (IG) गढ़वाल अभिनव कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर ये अभियान चलाया जा रहा है, जो भी शव या कंकाल प्राप्त होगा उसका डीएनए टेस्ट करने के बाद उनसे संबंधित लोगों को सूचित किया जाएगा।
 

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