आडवाणी, भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाया; कभी नाराज होकर 8 साल में तीन बार दे दिया था इस्तीफा
नई दिल्ली. भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी का 92वां जन्मदिन है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली स्थित उनके निवास पर शुभकामनाएं देने पहुंचे। मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उनके साथ रहे। इसके अलावा उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी आडवाणी को शुभकामनाएं देने पहुंचे।
आडवाणी जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं। भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाने का श्रेय भी आडवाणी को ही जाता है। सामने से सरल स्वभाव के दिखने वाले आडवाणी अपने तीखे तेवरों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 2005 से 2013 तक नाराज होकर तीन बार पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि, हर बार पार्टी ने उन्हें मना लिया।
आडवाणी 2007 में पाकिस्तान गए थे। यहां उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की। इसके बाद वे संघ और अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए। आडवाणी ने 7 जून को भाजपा अध्यक्ष पद इस्तीफे की पेशकश की। दूसरी बार भाजपा की सिल्वर जुबली के एक दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने सभी पदों से इस्तीफे की पेशकश की। इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी को पीएम पद का चेहरा धोषित करने से नाराज होकर आडवाणी ने इस्तीफा दे दिया था।
आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था। उनके पिता का नाम केकेडी आडवाणी और मां का नाम गियानी आडवाणी था। 1947 के बंटवारे के वक्त आडवाणी का परिवार भारत आ गया था।
आडवाणी ने शुरूआती शिक्षा लाहौर में हासिल की। इसके बाद वे भारत आ गए। मुंबई में उन्होंने गर्वनमेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की थी। 1944 के दौर में वे कराची में एक स्कूल में पढ़ाते थे। आडवाणी ने जनसंघ की स्थापना के वक्त से ही पार्टी में जुड़ गए थे। वे 1951 से 1957 तक पार्टी के सचिव रहे। 1973 से 1977 तक आडवाणी ने जनसंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली।
1977 में आडवाणी पहली बार केंद्रीय मंत्री बने। वह मोरारजी देसाई सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थे। अटल बिहारी सरकार में दो बार (1998-99, 1999-2004) गृह मंत्री भी रहे। 2002 में वे उपप्रधानमंत्री बनाए गए।
2009 में वे भाजपा के प्रधानमंत्री पद के चेहरा थे, लेकिन पार्टी को हार मिली। 1989 में अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन में गुजरात के सोमनाथ से 'रथ यात्रा' निकाली। इससे वे हिंदुत्व के नए 'पोस्टर बॉय' बनकर उभरे। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई थी।
2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद भाजपा ने आडवाणी को मुरली मनोहर जोशी और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया। आडवाणी भाजपा के तीन बार अध्यक्ष, चार बार राज्यसभा सदस्य और पांच बार लोकसभा सांसद रहे।