निर्भया के दोषियों को राष्ट्रपति से लगा बड़ा झटका, अब सिर्फ मौत की तारीख तय होना बाकी है
नई दिल्ली. निर्भया केस में दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है। पवन ने 1 मार्च को दया याचिका लगाई थी। इसी दया याचिका की वजह से ही चारों दोषियों की फांसी की तारीख को टाल दिया गया। पहले चारों दोषियों को 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी दी जानी थी। अब निर्भया के चारों दोषियों के दया याचिका का विकल्प खत्म हो चुका है। दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन का वक्त मिलता है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि 17 मार्च के बाद ही दोषियों को फांसी हो सकती है।
Asianet News Hindi | Published : Mar 4, 2020 8:45 AM IST / Updated: Mar 04 2020, 06:50 PM IST
दोषियों की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य जांच कराने से इनकार : निर्भया केस से जुड़ा आज एक और फैसला हुआ। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका लगाई थी कि दोषियों की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच हो। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज ने कहा, याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
कब होगी दोषियों को फांसी? : निर्भया के चारों दोषी अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और विनय शर्मा के पास से क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प खत्म हो चुका है। दया याचिका खारिज होने के बाद दोषी को 14 दिन का वक्त दिया जाता है। ऐसे में 4 से लेकर 17 मार्च तक का वक्त दोषी को दिया जाएगा। उसके बाद फांसी दी जाएगी। (तस्वीर- दोषियों के वकील एपी सिंह, कोर्ट के बाहर मीडिया से बात करते हुए।)
क्यों मिलता है 14 दिन का वक्त? : दया याचिका खारिज होने के बाद दोषियों को 14 दिन का वक्त देने के पीछे साल 2014 का शत्रुघ्र चौहान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामला है। इस केस में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि मौत की सजा पाने वाले कैदी को फांसी के लिए मानसिक रूप से तैयार होने के लिए कम से कम 14 दिन का वक्त दिया जाए। (तस्वीर- साल 2013 में निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए कैंडर मार्च निकाला गया था।)
निर्भया के चारों दोषी अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और विनय शर्मा के पास से क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प खत्म हो चुका है।
3 बार टली फांसी की तारीख : निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए 3 बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। पहला डेथ वॉरंट 7 जनवरी को जारी हुआ, जिसके मुताबिक 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया गया। इसके बाद दूसरा डेथ वॉरंट 17 जनवरी को जारी हुआ, दूसरे डेथ वॉरंट के मुताबिक, 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी देना का आदेश था। फिर 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाली दी। तीसरा डेथ वॉरंट 17 फरवरी को जारी हुआ। इसके मुताबिक 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी का आदेश दिया गया। (साल 2013 में दोषियों को फांसी दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन करती महिलाएं।)
चारों दोषियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए निर्भया की मां 7 साल से कोर्ट के चक्कर काट रही है।(तस्वीर- साल 2013 में दोषियों को फांसी दिलाने के लिए पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुआ था)
निर्भया के साथ क्या हुआ था? : दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।
13वें दिन निर्भया ने सिंगापुर में दम तोड़ दिया था: बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई। (तस्वीर- साल 2013 में निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए ऐसे विरोध प्रदर्शन किया गया।)