निर्भया जैसी बेटी होती तो जिंदा जला देता...कोर्ट में चप्पल खाने वाला वह शख्स, जिसने न्याय को 7 साल तक लटकाया
नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों को शुक्रवार सुबह 5.30 पर फांसी होनी है। ऐसे में दोषियों ने गुरुवार को इससे बचने की हर कोशिश कर ली। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि 7 साल बाद निर्भया को न्याय मिल जाएगा। निर्भया की मां को 7 साल तक न्याय के लिए इंतजार करना पड़ा। इन 7 सालों में जहां पूरा देश निर्भया के लिए न्याय मांग रहा था, वहीं, ये शख्स दोषियों का साथ देता रहा और उनकी ढाल बना रहा। हम बात कर रहे हैं दोषियों के वकील एपी सिंह की। एपी सिंह ने निर्भया के दोषियों का केस लड़ा। इस दौरान वे हमेशा लोगों के निशाने पर रहे। 2013 में उनके उपर कोर्ट के बाहर एक महिला ने चप्पल से हमला कर दिया था।
एपी सिंह कानूनी दांवपेंचों से निर्भया के दोषियों की फांसी टलवाते रहे। यहां तक की तीन डेथ वारंट भी खारिज हुए। एपी सिंह कानूनी विकल्पों के सहारे दोषियों को बचाते रहे। इस दौरान एपी सिंह की आलोचना भी हुई।
दोषियों के वकील एपी सिंह ने एक बार कहा था कि अगर उनकी बेटी शादी से पहले संबंध बनाती तो वह सबके सामने उसपर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा देते।
11 सितंबर 2013 को दिल्ली के साकेत कोर्ट के बाहर वकील एपी सिंह मीडिया को संबोधित कर रहे थे। तभी वहां मौजूद एक महिला ने उनपर चप्पल फेंकने से मारने की कोशिश की।
महिला ने एपी सिंह को चप्पल से मारने की कोशिश की थी। वहां मौजूद वकीलों ने उसे रोक दिया। तब उसने कहा था, घर के बाहर महिलाओं का निकलना मुश्किल हो गया है।
किसी तरह पुलिसकर्मियों ने अनीता को वहां से हटाया ही था कि वह अदालत परिसर में मौजूद मुकेश के वकील वीके आनंद के पास पहुंच गई और उनको भी खरी-खोटी सुनाने लगी।
अनीता, वकील एपी सिंह से उलझ गई थी। झड़प के दौरान उसने वकील की शर्ट भी फाड़ दी थी।
अनीता नाम की महिला ने कहा था, महिलाएं सुरक्षित नहीं रह गई हैं। फिर भी कोई वकील वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों का केस क्यों लड़ रहा है?
चौथी बार जारी हुआ डेथ वारंट : निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए 3 बार डेथ वारंट जारी हो चुका है। पहला डेथ वारंट 7 जनवरी को जारी हुआ, जिसके मुताबिक 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया गया। इसके बाद दूसरा डेथ वारंट 17 जनवरी को जारी हुआ, दूसरे डेथ वारंट के मुताबिक, 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी देना का आदेश था।
फिर 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाली दी। तीसरा डेथ वारंट 17 फरवरी को जारी हुआ। इसके मुताबिक 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी का आदेश दिया गया। लेकिन यह भी टल गई। इसके बाद 5 मार्च को चौथा डेथ वारंट जारी किया गया।
क्या हुआ था 16 दिसंबर 2012 को? : दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं।
दरिंदों ने निर्भया से दरिंदगी तो की ही इसके साथ ही उसके दोस्त को भी बेरहमी से पीटा। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया।
घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।