बहुत खुंखार था निर्भया का यह दोषी, एक हाथ खराब था, दूसरे में रॉड पड़ी थी, फिर भी की दरिंदगी
नई दिल्ली. 16-17 दिसंबर 2012 की रात चलती बस में कुल 6 दरिंदों ने निर्भया से गैंगरेप किया था। उनसे में 4 को एक फरवरी को फांसी दी जानी है। एक दोषी नाबालिग था। तीन साल की सजा काटने के बाद उसे रिहा कर दिया गया। लेकिन गैंगरेप का मुख्य दोषी राम सिंह की सबसे पहले मौत हुई। 11 मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में राम सिंह की लाश मिली थी। जेल प्रशासन के मुताबिक राम सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
Asianet News Hindi | Published : Jan 24, 2020 10:09 AM IST / Updated: Jan 28 2020, 01:19 PM IST
जेल अधिकारियों के मुताबिक, राम सिंह ने जेल की ओर से मिली दरी, कंबल और अपने कपड़ों से रस्सी बनाई और पाजामे के नाड़े से फांसी का फंदा बना लिया। वह तिहाड़ की जेल नंबर 3 में बंद था।
राम सिंह का एक हाथ खराब था और दूसरे में लोहे की रॉड पड़ी थी। इसके बाद भी उसे बस चलाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी।
राम सिंह का बर्ताव बेहद अकड़ भरा था। वह बहुत जिद्दी, चिड़चिड़ा और गुस्सैल था। उसे दोस्त मेंटल कह कर बुलाते थे।
जब राम सिंह को तिहाड़ जेल लाया गया था तो कैदियों ने उसे बुरी तरह से पीटा था। इसके बाद उसे अलग सेल में रखा गया। राम सिंह की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया था कि राम सिंह की जेल में हत्या की गई है।
राम सिंह ही वो आरोपी था जिसने अदालत में कहा था कि उसने बहुत बड़ा गुनाह किया है। उसे फांसी दे दी जाए।
बस ड्राइवर राम सिंह दक्षिण दिल्ली के रविदास झुग्गी झोपड़ी कॉलोनी में रहने वाला था। निर्भया से गैंगरेप के दौरान राम सिंह ही बस चला रहा था। पड़ोसियों के मुताबिक, राम सिंह को शराब की लत थी। उसके लिए झगड़ा करना आम बात थी। उसने ही सबसे पहले निर्भया के साथ रेप किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राम सिंह का परिवार 20 साल पहले राजस्थान से दिल्ली आया था। यह पांच भाईयों में तीसरे नंबर पर था। यह पढ़ने के लिए स्कूल तो गया, लेकिन शुरुआत स्तर पर भी पढ़ाई छोड़ दी। निर्भया गैंगरेप में सबसे पहले राम सिंह को ही गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के मुताबिक राम सिंह को घटना के 18 घंटे के अंदर ही पकड़ लिया गया था।