बम बरसा रहे थे पाकिस्तानी विमान, अकेले भिड़ गया था ये जाबांज; दुश्मन के 3 फाइटर जेट कर दिए थे ढेर
नई दिल्ली. 2 दिन बाद यानी 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाएंगे। यह 71वां गणतंत्र दिवस है। इस दिन राजपथ पर परेड में एक बार फिर देश की ताकत देखकर हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। देश की सुरक्षा और हमें सुरक्षित रखने के लिए देश के जाबांज जवान हंसते कुर्बानी दे देते हैं। गणतंत्र दिवस से पहले हम आपको ऐस ही कुछ जवानों की कहानियां बता रहे हैं, जिनके बलिदान को याद किए बिना, हमारा गणतंत्र अधूरा है।
Asianet News Hindi | Published : Jan 24, 2020 8:41 AM IST / Updated: Jan 24 2020, 04:16 PM IST
भारतीय सेना ने 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध जीता था। हमारे कई साहसी जवानों ने देश की रक्षा के लिए बलिदान दे दिया। 1971 पाकिस्तान युद्द को आज लगभग 48 साल हो गए। बावजूद इसके आज हमारे दिल में उन जवानों के साहस की कहानियां आज भी हैं। हालांकि, ऐसे कुछ लोग ही होंगे जो परमवीर चक्र विजेता निर्मलजीत सिंह सेखों के बारे में जानते होंगे।
निर्मलजीत का जन्म 1943 में पंजाब के लुधियाना में हुआ था। उनके पिता भी एयरफोर्स में थे। पिता से प्रेरणा लेकर निर्मलजीत ने बचपन में ही एयरफोर्स जॉइन करने का फैसला कर लिया था। वे 1967 में वायुसेना में पायलट ऑफिसर के तौर पर शामिल हुए।
1971 में भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर युद्धभूमि बन चुका था। पाकिस्तान भारतीय वायुसेना के एयरबेसों को निशाना बनाने के लिए बम बरसा रहा था। उसके निशाने पर अमृतसर, पठानकोट और श्रीनगर थे। श्रीनगर एयरबेस की जिम्मेदारी 18 स्क्वाड्रन पर थी। निर्मलजीत सिंह इसी का हिस्सा थे। इस स्क्वाड्रन को बहादुरी के लिए फ्लाइंग बुलेट भी कहा जाता था।
14 दिसंबर 1971 को निर्मलजीत स्टैंडबाय- 2 ड्यूटी (2 मिनट में विमान उड़ाने के लिए तैयार रहना ) पर थे। तड़के सुबह पाकिस्तानी वायुसेना ने 4 एफ-16 सेबर जेट लड़ाकू विमानों से श्रीनगर एयरबेस पर बम बरसाना शुरू कर दिए। पाक की इस टीम को विंग कमांडर चंगेजी लीड कर रहे थे। सर्दियों में कोहरे का फायदा उठाकर ये विमान भारतीय सीमा में घुस आए थे। उस वक्त कश्मीर घाटी में वायुसेना के पास कोई रडार सिस्टम भी नहीं था कि दुश्मन के विमानों के बारे में जानकारी मिल सके।
जब पाकिस्तानी विमान श्रीनगर एयरबेस के बेहद पास आ गए, तब भारतीय वायुसेना को इसकी जानकारी मिली। बिना देर करे इस स्क्वाड्रन को लीड करने वाले बलदीर सिंह घुम्मन (जी मैन) और सेखों अपने विमानों की तरफ बढ़े। जब दोनों जवानों ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क कर टेक ऑफ की परमिशन मांगने के लिए संपर्क किया। एटीसी ने संपर्क नहीं हो पाया। इसके बावजूद दोनों ने बिना देरी करे उड़ान भरी। इसी वक्त रनवे पर पाकिस्तानी सेना ने दो बम गिरा दिए।
जब सेखों ने देखा कि उनके पीछे पाकिस्तान के दो सेबर जेट हैं। उन्होंने बिना देरी करें अपना विमान घुमाया और पाकिस्तानी विमानों के पीछे लगा दिया। यह दोनों देशों की हवा में सबसे बड़ी लड़ाईयों में एक थी।
जैसे ही पाकिस्तान के चंगेजी ने सेखों का विमान दोनों पाकिस्तानी विमानों के पीछे देखा, उसने अपने सैनिकों से निकलने को कहा। तब तक सेखों ने हमला कर दिया था।
उस वक्त वे 4 पाकिस्तानी विमानों का सामना कर रहे थे। सेखों ने एक-एक कर तीन सेबर जेट विमानों को निस्तनाबूत कर दिया। इसी दौरान उन्होंने अपने सहयोगी को एक संदेश भेजा। इसमें उन्होंने कहा कि शायद उनके विमान में भी निशाना लग गया है। सेखों ने खुद को इजेक्ट करने की कोशिश की। लेकिन इजेक्ट सिस्टम भी फेल हो गया था। सेखों वीरगति को प्राप्त हो गए। लेकिन उन्होंने जो 28 साल की उम्र में किया, उसे देश कभी नहीं भूल सकता।