यह है निर्भया का सबसे बड़ा दरिंदा, चिड़चिड़ा और जिद्दी स्वभाव का था, जेल में मिली थी लाश
नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों के लिए तीसरी बार नया डेथ वॉरंट जारी हुआ है। 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी की तारीख तय की गई है। इससे पहले 22 जनवरी और 1 फरवरी को फांसी की तारीख तय की गई थी, लेकिन दोषियों की याचिकाओं की वजह से रद्द करनी पड़ी। 16-17 दिसंबर 2012 की रात निर्भया से 6 दरिंदों ने गैंगरेप किया। फिर उसे और उसके दोस्त को बिना कपड़ों के रोड किनारे फेंक कर चले गए। निर्भया से इस हद तक दरिंदगी की गई थी कि उसकी अतड़ियां तक निकाल ली थी। वह पानी भी नहीं पी सकती थी। दिल्ली और फिर सिंगापुर में इलाज हुआ और 13 दिन बाद उसने दम तोड़ दिया। 6 दोषियों में मुख्य आरोपी राम सिंह था। उसका एक हाथ खराब था, दूसरे में रॉड पड़ी थी, फिर भी उसने इतनी घिनौनी हरकत को अंजाम दिया। बताते हैं कि आखिर राम सिंह की मौत कैसे हुई? वह कहां का रहने वाला था? सजा के बाद उसने निर्भया को लेकर क्या कहा था?
Asianet News Hindi | Published : Feb 17, 2020 12:48 PM IST / Updated: Mar 02 2020, 02:07 PM IST
11 मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में राम सिंह की लाश मिली थी। जेल प्रशासन के मुताबिक राम सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राम सिंह का परिवार 20 साल पहले राजस्थान से दिल्ली आया था। यह पांच भाईयों में तीसरे नंबर पर था। यह पढ़ने के लिए स्कूल तो गया, लेकिन शुरुआत स्तर पर भी पढ़ाई छोड़ दी। निर्भया गैंगरेप में सबसे पहले राम सिंह को ही गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के मुताबिक राम सिंह को घटना के 18 घंटे के अंदर ही पकड़ लिया गया था।
बस ड्राइवर राम सिंह दक्षिण दिल्ली के रविदास झुग्गी झोपड़ी कॉलोनी में रहने वाला था। निर्भया से गैंगरेप के दौरान राम सिंह ही बस चला रहा था। पड़ोसियों के मुताबिक, राम सिंह को शराब की लत थी। उसके लिए झगड़ा करना आम बात थी। उसने ही सबसे पहले निर्भया के साथ रेप किया था।
राम सिंह ही वो आरोपी था जिसने अदालत में कहा था कि उसने बहुत बड़ा गुनाह किया है। उसे फांसी दे दी जाए।
जब राम सिंह को तिहाड़ जेल लाया गया था तो कैदियों ने उसे बुरी तरह से पीटा था। इसके बाद उसे अलग सेल में रखा गया। राम सिंह की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया था कि राम सिंह की जेल में हत्या की गई है।
राम सिंह का बर्ताव बेहद अकड़ भरा था। वह बहुत जिद्दी, चिड़चिड़ा और गुस्सैल था। उसे दोस्त मेंटल कह कर बुलाते थे।
राम सिंह का एक हाथ खराब था और दूसरे में लोहे की रॉड पड़ी थी। इसके बाद भी उसे बस चलाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी।
जेल अधिकारियों के मुताबिक, राम सिंह ने जेल की ओर से मिली दरी, कंबल और अपने कपड़ों से रस्सी बनाई और पाजामे के नाड़े से फांसी का फंदा बना लिया। वह तिहाड़ की जेल नंबर 3 में बंद था।