निर्भया से 2651 दिन पहले इसी बस में दरिंदगी हुई थी, अब कहां और किस हाल में खड़ी है, देखें Photos

नई दिल्ली. 20 मार्च की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई। निर्भया के दोषियों को 7 साल 4 महीने बाद तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। पोस्टमार्टम के बाद दोषियों के शव परिजनों को सौप दिए गए। इस बीच बताते हैं कि आखिर वह बस कहां है, जिसमें निर्भया से गैंगरेप किया गया था। बता दें कि पुलिस ने वारदात के अगले दिन यानी 17 दिसंबर 2012 को दिल्ली के संत रविदास कैंप से बरामद किया था। 6 में से 4 दोषी दिल्ली के इसी इलाके में रहते थे। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 21, 2020 11:20 AM IST / Updated: Mar 21 2020, 04:54 PM IST
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निर्भया से 2651 दिन पहले इसी बस में दरिंदगी हुई थी, अब कहां और किस हाल में खड़ी है, देखें Photos
बस दिल्ली के सागरपुर इलाके में डीडीए पार्क में खड़ी है। यह अंदर और बाहर दोनों जगहों से बद से बदतर हो चुकी है।
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जिस बस में निर्भया के साथ गैंगरेप किया गया, उसका नंबर DL 1PC 0149 है। बस दिनेश यादव नाम के शख्स की है।
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बस पर यादव लिखा है। इसी लिखावट से पुलिस को आरोपियों तक पहुंचने का लिंक मिला था।
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बस में आखिरी अंक 2,26,784 दर्ज है। यानी बस ने 2,26,784 किलोमीटर तक की यात्रा दर्ज की है। यह बस में आखिरी नंबर दर्ज है।
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बस की पीछे से दूसरे नंबर की सीट पर निर्भया से दरिंदगी की गई थी। अब बस कबाड़ हो चुकी है। सीटे फट गई हैं। गद्दे हटा लिए गए हैं या फिर कीड़े खा गए हैं।
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बस की खिड़की में शीशे टूट गए हैं। बस को पुलिस ने वारदात के अगले दिन यानी 17 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के संत रविदास कैंप से बरामद किया था।
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लोगों के गुस्से से बचाने के लिए लगभग डेढ़ साल पहले तक बस को साकेत कोर्ट परिसर में सुरक्षित रखा गया था। इससे पहले इसे त्यागराज स्टेडियम में रखा गया था।
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11 मार्च 2013 राम सिंह नामक मुख्य आरोपी ने सुबह तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर लिया। राम सिंह के परिवार वालों तथा उसके वकील का मानना है कि उसकी जेल में हत्या की गई है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सागरपुर इलाके में मैदान की रखवाली करने वाले सुभाष मिश्रा ने बताया कि बस यहां करीब 3 साल से खड़ी है।
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केस खत्म होने के बाद बस मालिक अपनी बस ले सकता है, लेकिन बस मालिक अभी तक इसे लेने नहीं आया है। जब तक बस का मालिक इसे लेने नहीं आता, तब तक यह बस सरकारी संपत्ति रहेगी।
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केस की जांच के दौरान इस बस से पर्याप्त फॉरेंसिक सबूत जुटाए जाने थे। इस बारे में जैसे ही लोगों को पता चला तो बस को निशाना बनाना शुरू कर दिया।
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