कानूनी विकल्पों में फंसा 'न्याय', क्या निर्भया के दोषियों को 3 मार्च को होगी फांसी
नई दिल्ली. निर्भया के चारों दोषियों को 3 मार्च को फांसी दी जानी है। हालांकि, फांसी से पहले दोषियों ने फिर एक चाल चली है। अब चौथे दोषी पवन ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होनी है। वहीं, निर्भया के एक और दोषी अक्षय ने नई दया याचिका दायर की है। उसका कहना है कि पिछली दया याचिका जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था, उसमें पूरे तथ्य नहीं थे। आईए जानते हैं कि ऐसे में कानूनी पैतरों के चलते क्या इस बार भी फांसी टल जाएगी या फिर 3 मार्च को निर्भया को न्याय मिलेगा।
Asianet News Hindi | Published : Feb 29, 2020 3:08 PM IST / Updated: Feb 29 2020, 08:46 PM IST
किसके पास क्या विकल्प? निर्भया के साथ 6 दोषियों ने दुष्कर्म किया था। एक दोषी नाबालिग था, जो छूट चुका है। वहीं, एक अन्य दोषी राम सिंह ने जेल में ही आत्महत्या कर ली। अभी चार दोषी पवन, अक्षय, मुकेश और विनय तिहाड़ में बंद हैं। चारों दोषियों में सिर्फ पवन ही ऐसा है जिसके पास दया याचिका का विकल्प बचा है, जबकि उसकी क्यूरेटिव पिटीशन पर सोमवार को सुनवाई होनी है।
कितनी याचिकाएं कोर्ट में लंबित? दिल्ली की निचली अदालत में दोषी अक्षय की याचिका पेंडिंग हैं। उसने इसमें कहा है कि उसने पूरे तथ्यों के साथ दया याचिका दाखिल की है। इसलिए फांसी पर रोक लगाना चाहिए। इस याचिका को लेकर दिल्ली कोर्ट ने तिहाड़ प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। मामले की सुनवाई सोमवार को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में पवन क्यूरेटिव पिटीशन- इसके अलावा दोषी पवन ने भी सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है। इसपर सोमवार को सुनवाई होनी है। जस्टिस एनवी रमन्ना की पांच जजों की बेंच इस पर सुनवाई करेगी।
केंद्र सरकार की भी याचिका पेंडिंग- उधर, केंद्र सरकार की भी याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। इसमें मांग की गई है कि जिन दोषियों के विकल्प खत्म हो चुके हैं। उन्हें एक एक कर फांसी दी जाए। इस पर 5 मार्च को सुनवाई होनी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस याचिका का डेथ वारंट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्या होगी फांसी? भारतीय कानून के मुताबिक, किसी मामले में शामिल सभी दोषियों को एक साथ फांसी होती है। अगर किसी दोषी की कोई याचिका लंबित पड़ी हो तो उसे फांसी नहीं दी जा सकती।
उधर, पवन ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है। इसे अगर सुप्रीम कोर्ट खारिज भी कर देता है। तब भी उसके पास दया याचिका का विकल्प रहेगा। यानी दोषी की अगर दया याचिका खारिज भी हो जाती है तब भी उसके पास 14 दिन का समय रहेगा।
निर्भया के मामले में पटियाला कोर्ट इससे पहले दो बार 22 जनवरी और 1 फरवरी को डेथ वारंट जारी कर चुकी है। हालांकि, दोनों बार विकल्पों के चलते यह तारीख आगे बढ़ गई।
कानूनी विकल्पों में न्याय फंसा हुआ नजर आ रहा है। इन सबको देखते हुए ऐसा लग रहा है कि कोर्ट एक बार फिर नया डेथ वारंट जारी करेगी। इस बार भी चारों दोषियों की फांसी टल सकती है।
16 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने दरिंदगी की थी। साथ ही निर्भया के साथ बस में मौजूद दोस्त के साथ भी मारपीट की गई थी।
दोनों को चलती बस से फेंक कर दोषी फरार हो गए थे। इसके बाद निर्भया का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चला था। जहां से उसे सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।