कोई गाली दे रहा तो कोई है खुश...फांसी से 12 घंटे पहले जेल में बंद निर्भया के दोषियों की ऐसी है हालत

नई दिल्ली. निर्भया केस के चारों दोषी मुकेश, अक्षय, विनय और पवन फांसी से 12 घंटे पहले अजीब हरकत करते नजर आए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोषी अपनी बैरक से बार-बार बाहर झांकते रहे। बिना किसी बात के स्टाफ को बुलाते हैं। मुकेश और अक्षय तो कुछ सामान्य हैं, लेकिन विनय और पवन की हालत खराब है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वॉरंट जारी कर 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे चारों को फांसी के फंदे पर लटका दिया।

Asianet News Hindi | Published : Mar 19, 2020 8:57 PM IST / Updated: Mar 20 2020, 05:40 AM IST

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कोई गाली दे रहा तो कोई है खुश...फांसी से 12 घंटे पहले जेल में बंद निर्भया के दोषियों की ऐसी है हालत
फांसी देने के लिए 4 बार जारी हुआ है डेथ वॉरंट : निर्भया केस में दोषियों के लिए 4 बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। पहला डेथ वॉरंट 7 जनवरी को जारी हुआ, जिसके मुताबिक 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी दी जानी ती। दूसरा डेथ वॉरंट 17 जनवरी को जारी हुआ। इसके मुताबिक, 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी देना का आदेश था। 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाली दी। तीसरा डेथ वॉरंट 17 फरवरी को जारी हुआ। इसके मुताबिक 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी का आदेश दिया गया था। लेकिन याचिका के कारण फांसी की तारीख टाल दी गई। चौथा डेथ वॉरंट 5 मार्च को जारी किया, जिसमें इसी महीने की 20 तारीख को सुबह 5.30 बजे फांसी तय की गई।
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मुकेश सिंह कुछ नहीं बोल रहा है : फांसी से पहले मुकेश सिंह शांत है। वह कुछ नहीं बोल रहा है। जेल अधिकारियों के माने तो मुकेश मानसिक तौर पर तैयार लग रहा है। उसे पता है कि मौत होनी है। इससे नहीं बच सकता है।
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पवन गुप्ता गाली-गलौज कर रहा है : फांसी से पहले पवन गुप्ता वहां के कर्मचारियों से गाली-गलौच कर रहा है। वह जोर-जोर से चीख रहा है, चिल्ला रहा है और कह रहा है कि मुझे जेल से बाहर निकालो। वह बार-बार सलाखों को खट-खटाता है।
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विनय की हालत सबसे ज्यादा खराब : मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोषी विनय की हालत सबसे ज्यादा खराब है। वह बार-बार यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है। विनय अभी जेल नंबर तीन में है। वह बार-बार कहता है कि मुझे मेरे दोस्त से मिलवाओ। कुछ दिन पहले भी उसने खाना छोड़ दिया था। वह एक ही जिद कर रहा था कि उसे अपने दोस्त से मिलना है।
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अक्षय ठाकुर को उम्मीद है कि बच जाएगा : अभय ठाकुर को अभी भी उम्मीद है कि वह बच जाएगा। उसे ऐसा इसलिए लग रहा है, क्योंकि अभी उसकी पत्नी ने तलाक की अर्जी लगाई है। उसे लगता है कि तलाक की अर्जी के दौरान उसे फांसी नहीं होगी। इसलिए वह बार-बार जेल स्टाफ से पूछता है कि उसके केस पर क्या सुनवाई हुई।
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जहां चारों दुष्कर्मी हैं, वहां से 5 मीटर की दूरी पर फांसी घर : तिहाड़ जेल के नंबर 3 में वार्ड 8 में चारों दोषियों को अलग-अलग कमरों में रखा गया है। यहां से फांसी घर की दूरी 5 मीटर है। पहले यहां दो अलग-अलग चबूतरे थे, लेकिन उन्हें तोड़कर एक नया चबूतरा बनाया गया है, जिससे की चारों को एक साथ फांसी दी जा सके।
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एक रस्सी से दो फंदे ही खिचेंगे : चारों दोषियों को फांसी देने के लिए दो रस्सियों से चार फंदे बनाए गए हैं। एक रस्सी से दो फंदे ही खिचेंगे। इसलिए दो रस्सियां लगाई गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे बनाने में 25 लाख रुपए खर्च हुए हैं।
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फांसी से एक दिन पहले 6 याचिकाएं रद्द : फांसी से एक दिन पहले दोषियों की एक के बाद एक 6 याचिकाएं खारिज हुईं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर की दूसरी दया याचिका को खारिज कर दिया। राष्ट्रपति की ओर से दूसरी दया याचिका ठुकराने पर अक्षय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। मुकेश, सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश सिंह की याचिका को खारिज कर दिया। मुकेश ने दावा किया था कि गैंगरेप के वक्त वह दिल्ली में ही नहीं था। पवन, सुप्रीम कोर्ट में ही दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो गई। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 3 दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। चारों दोषी पटियाला हाउस कोर्ट की रद्द की गई याचिका के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी।
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क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड?दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।
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