मौत से पहले के आधे घंटे, फांसी घर की तरफ जाते हुए रोने लगा था विनय, कपड़े पहने से भी किया मना

नई दिल्ली. निर्भया केस में दोषियों को 87 महीने और 4 दिन बाद इंसाफ मिला। चार दोषियों को तिहाड़ जेल के अंदर फांसी के फंदे पर टांग दिया गया। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चौथी बार डेथ वॉरंट जारी कर 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी की तारीख तय की थी। ऐसे में मौत की उस टाइम लाइन को बताते हैं, जिसके जरिए दोषियों को फांसी दी गई। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 20, 2020 2:27 AM IST / Updated: Mar 20 2020, 08:03 AM IST
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मौत से पहले के आधे घंटे, फांसी घर की तरफ जाते हुए रोने लगा था विनय, कपड़े पहने से भी किया मना
फांसी के लिए ले जाते हुए विनय रोने लगा : 4 बजे सभी दोषियों को जगाया गया। उनसे नहाने के लिए कहा गया। इसके बाद उन्हें काले कपड़े पहनाए गए। उन्हें चाय भी दी गई। हालांकि, विनय ने इससे पहले ही रोना शुरू कर दिया। उसने काले कपड़े भी नहीं पहने। डॉक्टरों ने चारों दोषियों का मेडिकल किया। इसके बाद चारों दोषियों को फांसी घर लाया गया। यहां चारों को फांसी दी गई।
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निर्भया से गैंगरेप का दोषी मुकेश बस क्लीनर का काम करता था। जिस रात गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह बस में ही सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था।
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पवन दिल्ली में फल बेंचने का काम करता था। वारदात वाली रात वह बस में मौजूद था। पवन जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था।
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निर्भया का मुख्य दोषी राम सिंह था। मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में राम सिंह की लाश मिली थी। पुलिस के मुताबिक राम सिंह ने खुद को फांसी लगाई थी, लेकिन बचाव पक्ष के वकीलों और राम सिंह के परिवार का आरोप था कि राम सिंह की हत्या की गई थी। राम सिंह बस ड्राइवर था। दक्षिण दिल्ली के रविदास झुग्गी में रहने वाला राम सिंह वारदात से 20 साल पहले राजस्थान से दिल्ली आया था। निर्भया केस में सबसे पहले राम सिंह को ही गिरफ्तार किया गया था।
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निर्भया का दोषी विनय जिम ट्रेनर का काम करता था। वारदात वाली रात विनय बस चला रहा था। इसने पिछले साल जेल के अंदर आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी लेकिन बच गया।
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निर्भया को 6वां दोषी नाबालिग था। वारदात के वक्त वह 17 साल का था। नाबालिग दोषी उत्तर प्रदेश के एक गांव का रहना वाला है। वह 11 साल की उम्र में दिल्ली आया था। इस केस में इसपर बतौर नाबालिग मुकदमा चलाया गया। 31 अगस्त 2013 को नाबलिग को बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया और उसे सुधार गृह में तीन साल के लिए भेज दिया गया। इसके बाद उसे फ्री कर दिया गया।
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यह बिहार का रहने वाला था। इसने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और दिल्ली चला आया। शादी के बाद ही 2011 में दिल्ली आया था। यहां वह राम सिंह से मिला। घर पर इस पत्नी और एक बच्चा है।
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