मौत देने के लिए गले का लिया नाप तो फूट फूटकर रोएं दोषी, निर्भया के दरिंदों को ऐसे दी जाएगी फांसी
नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी 2020 को सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाने के आदेश के बाद तिहाड़ जेल में तैयारियां जोरों पर है। जेल प्रशासन किसी भी प्रकार की चूक नहीं होने देना चाहता है। जिसके कारण लगातार हर तैयारियों को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है। जेल प्रशासन ने चारों दोषियों के गले का नाप लिया गया। जिसके आधार पर फांसी का फंदा तैयार किया जाएगा। इस दौरान चारों दोषियों की लंबाई मापी गई और वजन भी लिया गया। वहीं, मौत की तारीख तय होने के बाद दोषियों ने कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल किया था। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
तिहाड़ जेल प्रशासन ने फांसी देने से पहले चारों दोषियों की डमी बनाकर फांसी देने की प्रक्रिया का रिहर्सल भी किया जा चुका है। जेल मैन्युअल के तहत यह पूर्व निर्धारित प्रक्रिया का हिस्सा है। सूत्रों के मुताबिक, जिस वक्त गुनहगारों की माप ली जा रही थी, उस वक्त वह फफक-फफक कर रो पड़े थे। उन्हें अपने सामने मौत नजर आ रही थी। मौके पर मौजूद जेल कर्मियों ने उन्हें किसी तरह शांत कराया।
अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गले का नाप लेने के दौरान काफी सर्तकता बरती जाती है। इसका नाप बाएं कान के नीचे जबड़े के पास से लिया जाता है। गांठ वहीं से शुरू होती है। इसे तैयार करने में वजन का भी ध्यान रखा जाता है। इसके हिसाब से गांठों की संख्या तय होती है। ज्यादा वजन वाले गुनहगार के फंदे के लिए ज्यादा गांठें लगाई जाती हैं, जबकि कम वजन वाले के लिए कम। फांसी के एक फंदे में तीन से पांच-गांठ होती है।
फांसी पर लटकाए जाने के बाद एक-एक गांठ खुलती जाती है। इससे गर्दन पर फंदा कसता रहता है। आखिर में गुनहगार की गर्दन टूट जाती है। जेल अधिकारियों का कहना है कि दोषियों के वजन के हिसाब से फंदे की लंबाई भी तय होती है। 45 किलो वजन वाले के फंदे की लंबाई करीब आठ फिट होती है, जबकि 90 या उससे ज्यादा वजन वालों के फंदे की लंबाई छह फिट होती है।
तिहाड़ जेल में फांसी के तख्ते के नीचे कुंआ है। इसकी गहराई करीब 15 फिट है। जल्लाद द्वारा लीवर खींचते ही तख्ता खुल जाता है और फंदे पर लटकाए गए गुनहगार का आधा शरीर कुएं के अंदर चला जाता है। करीब आधे घंटे में उसकी मौत हो जाती है। जिसके बाद जल्लाद उन्हें फांसी से नीचे उतारता है।
16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की घटना को अंजाम दिया था। इस दरिंदगी के 10 दिन बाद यानी 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के नौ महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों क्रमशः राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी।
मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट चुका है। जिसके बाद अब इन चार दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा।