सीट कीड़े खा गए, खिड़कियां टूट गईं...इसी चलती बस में निर्भया से की गई थी दरिंदगी, अब यहां खड़ी है
नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के 4 आरोपियों को 22 जनवरी को फांसी देने की तारीख तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया है, जिसके बाद मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई। अभी दो दोषियों पवन और अक्षय ने अभी क्यूरेटिव पिटीशन नहीं लगाई है। इस बीच दोषी मुकेश ने हाई कोर्ट में भी डेथ वॉरंट को खारिज करने की याचिका लगाई है। मुकेश ने कहा कि दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है इसलिए डेथ वॉरंट को रद्द किया जाए। इन खबरों के बीच उस बस की तस्वीरें दिखाते हैं, जिसमें निर्भया के साथ दरिंदगी की गई। 7 साल बाद बस की सीट को कीड़े खा चुके हैं, शीशे टूटे हुए हैं। बस दिल्ली के सागरपुर इलाके में डीडीए पार्क में खड़ी है। यह अंदर और बाहर दोनों जगहों से बद से बदतर हो चुकी है।
Asianet News Hindi | Published : Dec 14, 2019 9:44 AM IST / Updated: Jan 16 2020, 07:59 PM IST
जिस बस में निर्भया के साथ गैंगरेप किया गया, उसका नंबर DL 1PC 0149 है। बस दिनेश यादव नाम के शख्स की है।
बस पर यादव लिखा है। इसी लिखावट से पुलिस को आरोपियों तक पहुंचने का लिंक मिला था।
बस में आखिरी अंक 2,26,784 दर्ज है। यानी बस ने 2,26,784 किलोमीटर तक की यात्रा दर्ज की है। यह बस में आखिरी नंबर दर्ज है।
बस की पीछे से दूसरे नंबर की सीट पर निर्भया से दरिंदगी की गई थी। अब बस कबाड़ हो चुकी है। सीटे फट गई हैं। गद्दे हटा लिए गए हैं या फिर कीड़े खा गए हैं।
बस की खिड़की में शीशे टूट गए हैं। बस को पुलिस ने वारदात के अगले दिन यानी 17 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के संत रविदास कैंप से बरामद किया था।
लोगों के गुस्से से बचाने के लिए लगभग डेढ़ साल पहले तक बस को साकेत कोर्ट परिसर में सुरक्षित रखा गया था। इससे पहले इसे त्यागराज स्टेडियम में रखा गया था।
11 मार्च 2013 राम सिंह नामक मुख्य आरोपी ने सुबह तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर लिया। राम सिंह के परिवार वालों तथा उसके वकील का मानना है कि उसकी जेल में हत्या की गई है।
14 सितम्बर 2013 को इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। जल्द ही उन्हें फांसी हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सागरपुर इलाके में मैदान की रखवाली करने वाले सुभाष मिश्रा ने बताया कि बस यहां करीब 3 साल से खड़ी है।
केस खत्म होने के बाद बस मालिक अपनी बस ले सकता है, लेकिन बस मालिक अभी तक इसे लेने नहीं आया है। जब तक बस का मालिक इसे लेने नहीं आता, तब तक यह बस सरकारी संपत्ति रहेगी।