नई दिल्ली। 24 मार्च को ही दो साल पहले भारत में लॉकडाउन लगा था। कोरोना महामारी फैलने से रोकने के लिए सरकार ने अचानक लॉकडाउन लगा दिया था। इसके चलते सबसे अधिक परेशानी रोज कमाने खाने वाले मजदूरों को हुई। लॉकडाउन के चलते फैक्ट्रियां और दुकानें बंद हो गईं। काम बंद हुआ तो आमदनी भी खत्म हो गई। लिहाजा स्थिति भूखे मरने की आ गई। ट्रेन और बस बंद थे, जिसके चलते प्रवासी मजदूतों को पैदल, साइकिल, रिक्शा या ट्रक जैसे वाहनों से घर लौटना पड़ा। देखें तस्वीरें...
ट्रेन, बस और अन्य साधन नहीं मिलने के चलते लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को ट्रक में सवार होकर अपने घर लौटना पड़ा था। कई ऐसे मामले भी सामने आए थे, जिसमें ट्रक ड्राइवरों ने जरूरतमंद लोगों से घर पहुंचाने के बदले हजारों रुपए वसूल किए थे।
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यह तस्वीर मुंबई के धारवी की है। प्रवासी श्रमिक और उनके परिवार के सदस्यों को सड़क पर खड़े होकर बस का इंतजार करना पड़ा था। महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें रेलवे स्टेशन पहुंचाने के लिए बस की व्यवस्था की थी।
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लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित गरीब तबका हुआ था। ऐसे लोगों की बहुत बड़ी संख्या थी, जिन्हें कमाई बंद होने के चलते खाने के लाले पड़ गए थे। ऐसे में स्वयंसेवकों ने जरूरतमंद लोगों के बीच मुफ्त भोजन बांटा था।
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यह तस्वीर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर की है। लॉकडाउन के चलते ट्रेन, बस या कोई और साधन नहीं मिला तो ये प्रवासी मजदूर साइकिल से ही अपने घर लौटने के लिए निकल गए। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों ने सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा साइकिल से तय की थी।
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पूरे देश में सख्ति से लॉकडाउन का पालन कराया गया था। सड़क पर पुलिस की तैनाती थी। बिना जरूरी काम से घर से बाहर निकले लोगों से पुलिस सख्ति पेश आती थी। कई जगह तो पुलिस द्वारा आम लोगों के साथ मारपीट की घटनाएं भी सामने आईं थी।
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लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूर घर लौटने को विवश हो गए थे। दुकानें बंद होने के चलते रास्ते में इन्हें खाना पानी भी नहीं मिल रहा था। ऐसे में पुलिस के जवानों ने काफी मदद की थी। यह तस्वीर मुंबई की है। पुलिसकर्मियों ने श्रमिक ट्रेन का इंतजार कर रहे प्रवासी मजदूरों के बीच फल बांटे थे।
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यह तस्वीर दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन की है। लॉकडाउन लगने के चलते काम मिलना बंद हुआ तो प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर लौटने को विवश हुए। प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की समस्या विकराल होने पर सरकार ने मजदूर स्पेशल ट्रेनें चलाई थी।
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यह तस्वीर दिल्ली के कनॉट प्लेस के जनपथ मार्केट की है। आम दिनों में लोगों से गुलजार रहने वाला यह मार्केट सुनसान था। कोरोना के डर से लोग अपने-अपने घरों में कैद थे। घर से बाहर निकलने वाले लोगों से पुलिस सख्ति से बाहर आने की वजह के बारे में पूछताछ करती थी।
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लॉकडाउन के चलते लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों को अपने घर लौटना पड़ा था। सिर पर गृहस्थी का सामान उठाए मजदूरों को पैदल ही सफर करना पड़ा था। जिल लोगों के पास साइकिल या बाइक जैसे साधन थे वे उसकी मदद से घर लौटे।
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यह तस्वीर 19 अप्रैल, 2021 की है। दिल्ली में तालाबंदी की घोषणा के बाद हजारों प्रवासी बस स्टेशनों पर जमा हो गए थे। कौशांबी बस स्टैंड (आनंद विहार बस टर्मिनस के सामने) पर प्रवासी कामगारों की भारी भीड़ जुटी थी। मजदूर 2020 में लॉकडाउन के दौरान घर लौटने के लिए हुई परेशानी फिर से नहीं उठाना चाहते थे।