पतंजलि को मिला कोरोना का रामबाण इलाज, एक हजार से ज्यादा संक्रमित मरीजों को ठीक किया

नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण का केस तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इस बीच एक खुशी की खबर सामने आई है। पतंजलि आयुर्वेद के को-फाउंडर आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया है कि पतंजलि ने कोरोना की दवा बनाने में सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने कहा कि इस दवा से 1 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया कि अलग-अलग जगहों पर कई कोरोना संक्रमित मरीजों को यह दवा दी गई, जिसमें से 80 फीसदी लोग ठीक हो चुके हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 11, 2020 12:16 PM IST / Updated: Jun 15 2020, 11:33 AM IST

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पतंजलि को मिला कोरोना का रामबाण इलाज, एक हजार से ज्यादा संक्रमित मरीजों को ठीक किया


आचार्य बालकृष्ण ने बताया, जैसी ही चीन के साथ विश्व के दूसरे देशों में कोरोना के केस आने शुरू किए, वैसे ही अपने संस्थान में हर विभाग को सिर्फ और सिर्फ कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा पर काम करने में लगा दिया। अब उसी की परिणाम सामने आया है। 
 

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आचार्य बालकृष्ण ने बताया, शास्त्रों और वेदों को पढ़कर और विज्ञान के फॉर्मूले में डालकर आयुर्वेदिक चीजों से कोरोना की दवा बनाई गई है।
 

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आचार्य बालकृ्ष्ण ने बताया कि इस दवा के निर्माण के लिए पतंजलि के सैकड़ों वैज्ञानिक दिन-रात एक कर काम करते रहे, जिसका परिणाम निकला की आज हम दवा बना लिए हैं। पतंजलि शोध संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक ने बताया कि जनवरी में जब चीन में कोरोना की शुरुआत हुई थी, तभी से इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया था। 

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भारत में कोरोना के रेमडेसिवीर नाम की भी एक दवा है। ये एक एंटीवायरल दवा है, जिसे सबसे पहले 2014 में इबोला के इलाज में इस्तेमाल किया गया था। WHO के ट्रायल में इस दवा को Covid-19 के कारगर इलाजों में से एक माना गया है। यह शरीर में वायरस रेप्लिकेशन को रोकता है। पिछले महीने, अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीज ने शुरुआती ट्रायल के आधार पर बताया था कि रेमडेसिवीर देने वाले कोरोना के मरीजों में 11 से 15 दिनों तक में सुधार हुआ है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 1 जून को रेमडेसिवीर के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी। गंभीर रूप से बीमार कोरोना के मरीजों को अब डॉक्टरों की तरफ से ये दवा दी जा रही है।

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ये एक एंटीवायरल है जो वायरस रेप्लिकेशन को रोकने के लिए दी जाती है। इसे एंटी-इन्फ्लूएंजा दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस दवा को सबसे पहले जापान की फ्यूजीफिल्म टोयामा केमिकल लिमिटेड ने विकसित किया था। भारत में ये दवा ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स और स्ट्राइड्स फार्मा को बनाने की मंजूरी मिली है। ये दवा कोरोना के गंभीर रूप से बीमार मरीजों से लेकर हल्के लक्षण वाले मरीजों को दी जा रही है। कोरोना के मरीजों पर दवा के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए दस अस्पतालों को शॉर्टलिस्ट किया गया है।

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यह एक इम्यूनो सप्रेसेंट दवा है जिसे आमतौर पर गठिया के इलाज में दी जाती है। मुंबई में, कोरोना वायरस के 100 से अधिक गंभीर मरीजों का इलाज इस दवा से किया गया है। सरकारी अस्पतालों में ये दवा मुफ्त में दी जा रही है। पहली बार ये दवा लीलावती अस्पताल में 52 साल के एक मरीज को दी गई थी, जिसकी हालत बहुत गंभीर हो चुकी थी। इस दवा से कोरोना के कई मरीजों की हालत में सुधार देखा गया है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इस पर कोई भी डेटा देना अभी जल्दबाजी होगी।

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