चमोली, उत्तराखंड. प्रकृति से कौन लड़ पाया है? लेकिन साहसी इंसान मौत से अवश्य लड़ जाता है। यह देखना है, तो चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा में फंसे लोगों की जाने बचाने जुटी रेस्क्यू टीम के हौसले को देखिए। वे दिन-रात पूरी ताकत से टनल में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने जुटे देखे गए। बता दें कि रविवार सुबह करीब 10.30 बजे के आसपास चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने से ऋषिगंगा घाटी में जलजला आ गया था। गनीमत रही कि जलप्रलय अलकनंदा नदी तक आते-आते शांत पड़ गई। लेकिन इस आपदा को केदारनाथ में 2013 में आई प्राकृतिक आपदा से बड़ा माना गया है। इस हादसे में अभी भी कई लोगों के तपोवन में NTPC की प्रोजेक्ट साइट पर टनल में कई मजदूरों और अन्य कर्मचारियों के फंसे होने की आशंका है। रेस्क्यू में NDRF,ITBP और सेना के जवान शामिल हैं।
NTPC की जिस टनल में लोगों के फंसे होने की आशंका है, उसमें गीला मलबा भरा हुआ है। ऐसे में रेस्क्यू टीम को दिक्कत आ रही है, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं खोई और कुछ लोगों को जिंदा निकाल लिया।
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टनल में मलबा भर जाने से ऑक्सीजन की कमी भी हो गई है। एक साथ दो मशीने भी अंदर नहीं जा सकतीं। लिहाजा एक ही मशीन से मलबा निकाला जा रहा है।
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आर्मी इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रही है। माना जा रहा है कि टनल में कुछ गाड़ियां फंसी हैं, जिनमें जान बचाकर लोग बैठ गए होंगे।
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NTPC का यह पावर प्रोजेक्ट यानी ऋषिगंगा प्रोजेक्ट रैणी गांव में है। जो लोग लापता हैं, उनके परिजन वहीं भूखे-प्यासे बैठे हुए हैं। रेस्क्यू टीम उन्हें भी हिम्मत बंधा रही है।
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ग्लेशियर फटने से बीआरओ का एक पुल भी बह गया। इससे 30 गांवों का सड़क से संपर्क टूट गया है।
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NTPC की टनल में ऐसे मलबा भरा हुआ है। इसे साफ करके अंदर तक जाना आसान नहीं। लेकिन रेस्क्यू टीम पूरी ताकत से इसे साफ करने में लगी है।
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रेस्क्यू टीम हादसे के कुछ समय बाद ही घटनास्थल पर पहुंच गई थी। मलबे को हटाकर कुछ लोगों को जिंदा भी निकाला जा चुका है।
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तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि ग्लेशियर फटने से कैसे दलदल बन गया। रेस्क्यू टीम के लिए यह भी एक बड़ी चुनौती है।
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रेस्क्यू टीम टनल में फंसे लोगों को बाहर निकालने के अलावा पीड़ितों का राहत सामग्री पहुंचाने में भी जुटी हुई है।
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इस तस्वीर को देखकर समझा जा सकता है कि ग्लेशियर फटने के बाद कैसे जलजला आया था।