किसी ने उड़ाया लड़ाकू विमान, तो किसी ने लौटाया देश का गौरव...राष्ट्रपति ने 15 बेटियों को दिया यह सम्मान

नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नारी शक्ति को शुभकामनाएं दीं। महिलाओं के सम्मान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स उन सात महिलाओं को सौंप दिया जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम किया है। वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिलाओं को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी उनके साथ थीं। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की पत्नी सविता कोविंद भी मौजूद रही। आईए जानते हैं राष्ट्रपति ने किन महिलाओं को नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 8, 2020 12:11 PM IST / Updated: Mar 08 2020, 05:53 PM IST
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किसी ने उड़ाया लड़ाकू विमान, तो किसी ने लौटाया देश का गौरव...राष्ट्रपति ने 15 बेटियों को दिया यह सम्मान
एक समय में प्रख्‍यात रही हस्तकला 'नुमधा' को आरिफा ने फिर से जीवित कर दिया। नुमधा पारम्परिक एम्ब्रॉयडरी से बने कालीन होते हैं, जो पिछले कई वर्षों में अपनी पहचान खो चुके थे। अपनी हस्तकला एंटरप्राइज़ संस्‍था- इनक्रेडिबल कश्‍मीरी क्राफ्ट्स के जरिये न केवल कश्‍मीरी कालीन की ओर न केवल इंटरनेट पर ऑनलाइन ग्राहकों को आकर्षित किया, बल्कि स्थानीय शिल्‍पकारों में भी इसके प्रति रुचि बढ़ायी। आरिफा ने 25 कश्‍मीरी शिल्पकारों को रोजगार दिया और 100 से अधिक महिलाओं को इस विधा में प्रशिक्षण दिया। हस्तशिल्प के प्रति उनका प्रेम और उसे आगे बढ़ाने की ललक से उनके आस-पास के तमाम लोग प्रेरित हुए। 2010 में शिल्प प्रबंधन एवं उद्यम नेतृत्व में स्‍नातक करने के बाद आरिफा ने अपने ज्ञान को नुमधा हैंडीक्राफ्ट को पुनजीर्वित करने में लगा दिया। क्राफ्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के सहयोग से आरिफा ने किरगिस्तान में बिजनेस एक्सपोज़र ट्रेनिंग प्राप्त की।
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अवनि चतुर्वेदी, भावना कांत व मोहना सिंह को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। भारतीय वायुसेना में महिलाओं के लिए फाइटर स्‍ट्रीम खोले जाने के बाद इन तीनों को फाइटर स्‍क्वाड्रन में प्रयोग के तौर पर शामिल किया गया। 2018 में मिग-21 में अकेले उड़ान भरने के बाद तीनों पहली महिला फाइटर पायलट बनीं। अवनि चतुर्वेदी ने हैदराबाद एयर फोर्स अकादमी से 25 वर्ष की आयु में ट्रेनिंग पूरी की। अवनि इस समय सूरतगढ़, राजस्थान में नंबर 23 स्क्वाड्रन (पैंथर्स) में तैनात हैं।अवनि चतुर्वेदी 2018 में पदोन्नति के बाद फ्लाइट लेफ्टिनेंट बनीं। 2018 में बनसथली विद्यापीठ ने अवनि को ऑनरेरी डॉक्‍ट्रेट की उपाधि से नवाज़ा।भावना कांत का जन्म बिहार के दरभंगा में हुआ। आपने बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलुरु से मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स में बीई किया। भावना वर्तमान में अम्बाला, हरियाणा के नंबर 3 स्क्वाड्रन (कोबरास) में तैनात हैं।
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार में मुंगेर की रहने वाली बीना देवी को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। इन्हें मशरूम महिला के रूप में जाना जाता है। बीना एक ऐसी मशरूम उत्पादक हैं जो सरपंच भी रह चुकी हैं। बीना देवी ने किसानों को मशरूम खेती, ऑर्गेनिक खेती व ऑर्गेनिक कीटनाशक बनाने को प्रेरित किया। बीना ने दुग्ध उत्पादन और बकरी पालन में कार्यरत ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने का काम किया।
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता की रहने वाली कौशिकी चक्रवर्ती को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। कौशिकी शास्त्रीय गायिका हैं जो पटियाला घराना से ताल्लुक रखती हैं। कौशिकी चक्रवर्ती के रंगपटल में सेमी क्लासिकल ख्‍याल और ठुमरी शामिल हैं। मां चंदना चक्रवर्ती ने कौशिकी को भारतीय संगीत के लिए प्रेरित किया। 2 वर्ष की आयु से इन्होंने अपनी मां के साथ गीत गाने शुरू किए। कौशिकी चक्रवर्ती बचपन में अपने पिता के साथ राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करती थीं। इन्हें कई सारे राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। कौशिकी चक्रवर्ती ने 2012 में एसवीए नाम के समाजसेवी ट्रस्ट की स्थापना की, जिसका मुख्‍य लक्ष्‍य भारतीय संगीत को युवाओं के बीच बढ़ाने का है और संगीत की दुनिया में टैलेंट खोजना है।
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चामी देवी मुर्मू झारखंड की लेडी टार्जन के नाम से जानी जाती हैं। वनों और वन्यजीवों का संरक्षण और स्थानीय लोगों की जीविका को आगे बढ़ाना उनका मुख्‍य लक्ष्‍य है। चामी देवी को करीब 24 वर्ष लगे महिलाओं को वृक्षारोपण की मुहिम में जोड़ने में। इस मुहिम के अंतर्गत झारखंड में वनों को पुनजीर्वित करने के लिए उन्होंने 40 गांवों में साल, यूकेलिप्टस और अकासिया के पेड़ लगाए। ये वन टिम्बर माफियाओं द्वारा नष्‍ट किये जा चुके थे, जिसकी वजह से यहां हरियाली लगभग खत्म होने की कगार पर थी। सहयोगी महिला बगराइसई की सचिव के रूप में महिलाओं के 3000 स्वयं सहयोगी समूहों तक पहुंच कर उन्होंने वृक्षारोपण किया और जल-संभर लगवाये, ताकि क्षेत्र का भूजल स्तर ऊपर आ सके। देखते ही देखते चामी मुर्मू का नेटवर्क इतना मजबूत हो गया कि इस क्षेत्र में अगर एक भी पेड़ गैर कानूनी ढंग से काटा जाता है, तो उसकी खबर महिलाओं तक तुरंत पहुंच जाती है।
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तर प्रदेश में कानपुर की रहने वाली कलावती देवी को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। कलावती देवी महिला मिस्त्री हैं और कानपुर जिले में खुले मलोत्सर्ग को खत्म करने की मुहिम चला रही हैं। वित्तीय संकट की वजह से दिहाड़ी मजदूर बनीं कलावती देवी ने मिस्त्री का काम अपने हाथों में लिया। कलावती ने जब अपने आस-पास के परिदृश्‍य को देखा तो उन्हें बहुत खराब लगा। उन्‍होंने राजा का पुरवा झुग्गियों में सार्वजनिक शौचालय बनाया। इसी के साथ कलावती ने घर-घर जाकर लोगों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया। कई जगह सार्वजनिक शौचालय बनवाने का कार्य करने के बाद उन्‍होंने इसे अपना लक्ष्‍य बना लिया और अपने काम का विस्तार किया। कानपुर और आस-पास के इलाकों में कलावती अब तक 4000 से अधिक शौचालय बना चुकी हैं। पूरे परिवार का खर्च कलावती अकेले उठाती हैं। पति और दामाद की असमय मृत्यु के बाद बड़ी बेटी और दो नातियों का खर्च खुद उठा रही हैं। साथ ही समाज के लिए एक बड़ा काम भी कर रही हैं।
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लेह, लद्दाख की रहने वाली निलज़ा वांग्मो को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। लेह से 66 किलोमीटर दूर स्थित एक दूरस्थ इलाके अल्ची में रहने वाली निलज़ा ने 2016 में अल्ची किचन की स्थापना की। इस पहाड़ी इलाके में यह पहला रेस्तरां है, जो लद्दाख के उत्कृष्‍ट पारम्परिक भोजन के साथ-साथ कुछ भुलाये जा चुके भोजन परोसता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करने वाली निलजा के किचन में केवल महिला कर्मी काम करती हैं। ये सभी ग्रामीण महिलाएं हैं, जिनको स्‍वयं निलज़ा ने भोजन पकाने, परोसने और रेस्तरां प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया है। छोटी उम्र में ही निलजा के पिता का निधन हो गया था और वित्तीय संकट के चलते उन्हें बचपन में ही स्कूल छोड़ना पड़ा था।
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ताशी और नुंगशी जुड़वां बहनें हैं, जिन्होंने 23 वर्ष की उम्र में एक्‍सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम पूरा कर गिनीज़ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया। इसे पूरा करने वाली ये ताशी और नुंगशी पहली जुड़वां हैं। एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम के तहत दोनों ने एवरेस्ट समेत दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने के साथ नॉर्थ और साउथ पोल पर स्‍कीइंग का रिकॉर्ड बनाया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देहरादून की रहने वाली ताशी व नुंगशी मलिक को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। 2013 में ताशी और नुंगशी ने माउंट एवरेस्ट और माउंट एल्बरस पर चढ़ाई की।
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पटियाला, पंजाब की रहने वाली मन कौर को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। 'चंडीगढ़ का चमत्कार' के रूप में प्रसिद्ध, मन कौर एक एथलीट हैं, जिन्होंने अपना एथलेटिक्स करियर 93 वर्ष की आयु में शुरू किया।अपने एथलीट बेटे गरुदेव सिंह से प्रेरित मन कौर ने अपने ही बेटे से प्रशिक्षण प्राप्त किया और पोलैंड में आयोजित वर्ल्‍ड मास्टर्स एथलेटिक चैंपियनशिप में 4 स्वर्ण पदक (ट्रैक एंड फील्ड) जीते।2016 में अमेरिकन मास्‍टर्स गेम में मन कौर ने विश्‍व की सबसे तेज़ शतवर्षीय का रिकॉर्ड बनाया। इन्होंने भाला भेंकने और शॉट-पुट में भी पदक जीते। पूरी दुनिया में आयोजित मास्‍टर्स गेम्स में आपने अब तक 20 मेडल जीते हैं।ये फिट इंडिया मूवमेंट से भी जुड़ी हुई हैं। 2017 में ऑकलैंड के स्काई टावर पर पैदल चलने वाली सबसे वृद्ध व्‍यक्ति बनीं। मास्‍टर्स एथलेटिक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने मन कौर के उत्कृष्‍ट प्रदर्शन को देखते हुए राष्‍ट्रीय स्तर पर चयनित किया।पूरी दुनिया में मन कौर के ढेर सारे फैन हैं। ये मानती हैं कि दौड़ने को रीक्रिएशनल एक्‍टीविटी के रूप में प्रोत्साहित करना चाहिए, वृद्ध महिलाओं के बीच भी। स्वास्‍थ्‍य खराब होने के बावजूद मन कौर को जीत पसंद है। और उन्‍होंने यह साबित कर दिया कि उम्र तो केवल एक नंबर है।
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पुणे, महाराष्‍ट्र की रहने वाली रश्मि उर्धवारदेशे को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। ये पिछले 36 वर्षों से ऑटोमोटिव आर एंड डी प्रोफेशनल के रूप में कार्यरत हैं। 2014 से रश्मि ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया की निदेशक हैं, जिसकी स्थापना 1966 में भारत सरकार के सहयोग से भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्‍ट्री द्वारा की गई थी।
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश की रहने वाली पडाला भूदेवी को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। पडाला भूदेवी महिला किसानों और ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए रोल मॉडल हैं। पडाला भूदेवी आदिवासी महिलाओं, विधवाओं और पोडु खेती के विकास के लिए कम्‍युनिटी आधारित संस्‍था CAVS (चिन्नाई आदिवासी विकास सोसाइटी) के माध्‍यम से काम कर रही हैं। इस संस्था की स्थापना भूदेवी के पिता ने 1996 में की थी। भूदेवी मन्यम ग्रेन्स प्राइवेट लिमिटेड और मान्‍या दीपिका फामर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की निदेशक हैं और इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी की सहायता से लोगों को बाल पोषण स्वास्‍थ्‍य के प्रति जागरूक करती हैं।
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